जिम्मेदार आप हैं, आंसू क्यों बहाते हो

इन नेताओं को मजदूरों की मौत पर दुख जताने के लिए मगरमच्छ के आंसू बहाने की भी जरूरत क्या है। सडकों पर मजदूर पैदल इन्हीं के कारण तो चल और मर रहे हैं। न कोई नीति,न नीयत। अगर मजदूरों की इतनी ही चिंता है तो पहले राष्ट्रीय स्तर पर कोई नीति बनाते और फिर इन्हें … Read more

कोरोना चाहे दौड़ लगाए, मैं तो अब बस चलूँगा

प्रकृति के आगे बेबस हूं, अदृश्य विषाणु से मैं स्तब्ध हूं, तुम चाहे अपनी शान बढ़ाओ, बिना शान के जी लूंगा तुम चाहे अब दौड़ लगाओ! मैं तो बस अब चलूंगा!! कोरोना काल में पता चला, कितनी सी है मेरी हस्ती परम शक्ति की भक्ति में मैं तो बस रत रहूंगा तुम चाहे अब दौड़ … Read more

मजदूर की मंजिल ….!!

तारकेश कुमार ओझा पत्थर तोड़ कर सड़क बनाता है मजदूर फिर उसी सड़क पर चलते हुए उसके पैरों पर पड़ जाते हैं छाले वोट देकर सरकार बनाता है मजदूर लेकिन वही सरकार छिन लेती है उनके निवाले कारखानों में लोहा पिघलाता है मजदूर फिर खुद लगता है गलने – पिघलने रोटी के लिए घर द्वार … Read more

*जैन दर्शन विज्ञान की कसौटी पर*

सुरेंद्र जैन नीलम जैन दर्शन एक यथार्थ विज्ञान है, जो अनुभव की प्रयोगों पर आधारित है । आत्मा इसकी प्रयोगशाला है । विज्ञान का अभिप्राय वह क्रमबद्ध ज्ञान है जो प्रयोगों पर आधारित होता है तथा इसके निष्कर्षों में सार्वभौमिक सत्यता निहित होती है। किसी विज्ञान के निश्चित सिद्धांत होते हैं, किंतु यह आवश्यक नहीं … Read more

हौंसले की उड़ान

फिर खौफनाक अंधेरों ने मुझे डराना चाहा है ! मेरे भविष्य को नेस्तनाबूद करने के अभियान में, आज वे लोग भी शामिल हैं , जो कल तक मेरे विजय जुलूस की अग्रिम पंक्तियों में थे । पर मैं भाग्य या समय को दोष न दूंगा , और ना ही उन क्षुद्र आत्माओं से कुछ कहूंगा … Read more

जैन धर्म में जन धर्म बनने का सामर्थ्य है

*२१ वीं शताब्दी का धर्म – जैन धर्म होगा !* यह कल्पना किसी सामान्य आदमी ने नहीं की है बल्कि विश्व विख्यात दार्शनिक जार्ज़ बर्नार्ड शा ने कहा है कि यदि मेरा दूसरा जन्म हो तो मैं जैन धर्म में पैदा होना चाहता हूॅ क्योंकि यह धर्म विश्व धर्म बनने की क्षमता रखता है । … Read more

यूपीः भत्ते खत्म होने से नाराज 16 लाख कर्मचारी

योगी के खिलाफ लामबंद, विपक्ष उकसाने में लगा संजय सक्सेना,लखनऊ लखनऊ। कोरोना महामारी के समय आर्थिक तंगी से जूझ रही योगी सरकार एक तरफ जरूरतमंदों का पेट भरने का हरसंभव प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ वह उन लोगों की जेब भी थोड़ी-बहुत ढीली कर रही है जो आर्थिक रूप से सम्पन्न नजर आते … Read more

अपने जोखिम पर ही निकले

-जैसे ट्रेनों में लिखा होता है,यात्री अपने सामान की सुरक्षा खुद करें। -जैसे बसों में लिखा होता है,जेबकतरों से सावधान। -वैसे ही अब सरकार को जगह-जगह ये चेतावनी भी लिखा देनी चाहिए की कोरोना से लोग अपनी सरक्षा खुद करे। -अपने घर से जान जोखिम में डाल अपनी जिम्मेदारी पर निकलें। सरकार बचाव की गारंटी … Read more

*हर घर की कहानी, घर में अशांति*

*कारण और निवारण* आजकल नींव ही कमजोर पड़ रही है ,घरगृहस्थी की । हर दिन किसी न किसी का घर खराब हो रहा है । इसके कारण और जड़ों मैं कोई नहीँ जा रहा – जो इस प्रकार है- 1ससुराल में माँ बाप की अनावश्यक दखलंदाजी 2 संस्कार विहिन शिक्षा 3 आपसी तालमेल का अभाव … Read more

पत्रकारिता के मर्यादा पुरुषोत्तम *देवर्षि नारद*

भले ही नारद जी देवर्षि थे लेकिन वे देवताओं के पक्ष में पूर्वाग्रह ग्रस्त नहीं थे। वे प्राणी मात्र के कल्याण की चिंता करते थे। देवताओं की तरफ से भी कभी अन्याय होता दिखता तो वे राक्षसों को आगाह कर देते थे। देवता होने के बाद भी नारद जी बड़ी चतुराई से देवताओं की अधार्मिक … Read more

“ऐसी होती है माँ”

“ऐसे तो मोहब्बत में कमी होती है माँ का एक दिन नहीं होता सदी होती है।” यह क्या बात हुई कि जिस माँ ने हमें 9 महीने गर्भ में जगह दिया हम उसके प्यार को 1 दिन में ही समेटने चले। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि माँ पर क्या-क्या लिखूँ? माँ को … Read more

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