पत्रकारिता के मर्यादा पुरुषोत्तम *देवर्षि नारद*

भले ही नारद जी देवर्षि थे लेकिन वे देवताओं के पक्ष में पूर्वाग्रह ग्रस्त नहीं थे। वे प्राणी मात्र के कल्याण की चिंता करते थे। देवताओं की तरफ से भी कभी अन्याय होता दिखता तो वे राक्षसों को आगाह कर देते थे। देवता होने के बाद भी नारद जी बड़ी चतुराई से देवताओं की अधार्मिक … Read more

कोरोना संकट में ग्रामीण जीवन की जीवन रेखा: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना

विरेंद्र श्रीमाली राजस्थान के 33 जिलों के 298 पंचायत समितियों की 11227 ग्राम पंचायतों के 43008 गांवों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महानरेगा) के तहत 1,02,59,000 परिवार पंजीकृत हैं। उक्त पंजीकृत परिवारों में से 53,02,000 परिवार कार्य पर नियोजित हैं। अप्रेल 2020 तक नरेगा में 28,89,31,000 मानव दिवस रोजगार का सजृन किया … Read more

बंद रहेंगे मंदिर मस्जिद, खुली रहेंगी मधुशाला

*शराब की बिक्री चालू हो जाने के बाद से ही आम जन अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है।आम जन की यह धारणा बन* *ग ई है कि अब यदि देश, राज्य, जिला और आपके क्षेत्र में Corona फैलता है तो इस के लिए देश के नागरिक व शहर के निवासी कतई जिम्मेदार … Read more

क्या विवाह के लिए कुंडली मिलान जरूरी है?

कैसे दूर होते हैं कुण्डली के दोष? भारतीय हिन्दू परिवारों में यह माना जाता है कि लड़के या लड़की के विवाह से पूर्व किसी ज्योतिषी से कुण्डली जरूर मिलवा लेनी चाहिए। ज्यादातर भारतीय हिन्दू परिवार ज्योतिषी के पास अपने पुत्र या पुत्री के विवाह के लिए कुंडली मिलवाने या जन्मपत्रिका मिलान के लिए इसलिए जाते … Read more

*भले काम का सदा शुभ नतीजा*

ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में फ्लेमिंग नाम का एक गरीब किसान था। एक दिन वह अपने खेत पर काम कर रहा था। अचानक पास में से किसी के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी। किसान ने अपना साजो सामान व औजार फेंका और तेजी से आवाज की तरफ लपका। आवाज की दिशा में जाने पर उसने देखा … Read more

*हमारे क़लमकार*

क़लमकार सब दे रहे , भावों से संदेश। आज जरूरत है यही, एक रहे यह देश ।। एक रहे यह देश , तभी गौरव पाएंगे । कोरोना संग्राम , जीतकर मुस्काएँगे ।। कह नटवर कविराय, घड़ी आई ऐसी जब । धर्म निभाने चले , हमारे क़लमकार सब ।। – *नटवर पारीक*,डीडवाना

उन्हें तो ट्रेन में होना चाहिए था

ओम माथुर। जिनको ट्रेन में घर जाना था,ट्रेन उनके ऊपर से निकल कर उन्हें हमेशा के लिए घर से दूर कर गई। लाक डाउन से पहले मजदूरों को घर जाने का मौका नहीं दिया। और अब ट्रेनें और बसें चलाई,तो इतनी कम की इनमें जाने वालों से हजारों गुना लोग सडकों पर पैदल चल रहे … Read more

“सरकार कोशिश कर रही है”

मेरे लिए या शायद आपके लिए भी, इस समय की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि हम अंदाज़ा नहीं लगा पा रहे कि ये कब तक चलेगा। पर हां, इतने संसाधन तो हैं कि अगले 5-6 महीने बिना किसी बड़ी समस्या के हम लोग आसानी से अपनी व्यवस्था कर लेंगे। ऐसा नहीं है कि हमने … Read more

सड़कें यूं उदास तो न थी ….!!

अपनों से मिलने की ऐसी तड़प , विकट प्यास तो न थी शहर की सड़कें पहले कभी यूं उदास तो न थी पीपल की छांव तो हैं अब भी मगर बरगद की जटाएंं यूं निराश तो न थी गलियों में होती थी समस्याओं की शिकायत मनहूसियत की महफिल यूं बिंदास तो न थी मुलाकातों में … Read more

सरकारी व्यवस्था और मजदूर

लोकडाउन के वक्त मजदूरों की रहने की व्यवस्था को क्या किसी ने देखा ! और क्या खाने की व्यवस्था कैसी है किसीने उनकी भूख को पढा ! तो क्यो पूछ रहे हो कि ” यह मजदूर अपने राज्य की तरफ क्यों भागना चाहते है ” मजेदार बात यह है कि यह प्रश्न वो लोग पूछ … Read more

*आज कल का यक्ष प्रश्न*

महाभारत में पांडवों के 12 वर्ष के वनवास के समय एक सरोवर में पानी पीने से पहले यक्ष द्वारा पूछे गए प्रश्न सर्वविदित हैं । ये प्रश्र देश , काल से परे हैं । जीवन मूल्यों से संबंधित प्रश्न हैं । लेकिन आज अब प्रश्न यह है कि क्या हमारे शास्वत जीवन मूल्य बदल गये … Read more

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