हजरत, मैं शब्द बेचता हूं !
मैं शब्दों का व्यापारी हूं लिखकर ,बोलकर , कभी कभी चुप रह कर उन्हें बेचता हूं . जी हां भाईसाहब , मैं शब्दों का कारोबारी रात दिन लगा रहता हूं अल्फाजों की तिजारत में तरह तरह से उन्हें बेचता हूं उन्हीं से कमाता हूं उन्हीं की खाता हूं उन्हीं को ओढ़ता हूं उन्हीं को बिछाता … Read more