जीवनमूल्यों की पुनर्स्थापना का महा-पर्व दीपावली
-संजय कपिलगोत्री- हमारी संस्कृति का मूलस्वर है ”सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:।’’ आलोक पर्व दीपावली में हम इस शुभकामना को साकार होते देख सकते हैं। कार्तिकी अमावस की काली रात, जब झिलमिलाते हैं माटी के दिए, घर-आँगन में, गाँव-गली, नगर-डगर में तो वह महानिशा दीपावली बन जाती है। हम अपनी सामूहिकता से उस अमावस्या … Read more