माफ कीजिए..आपकी कुर्बानी को हम भूल गए
अलीगढ़। रात आई तो उजाले का भरम टूट गया, अब मैं समझा के ये साया भी नहीं है मेरा। शायद ये लाइनें देश की आजादी की खातिर महल के ऐशो-आराम को त्यागकर देश-विदेश की खाक छानने वाले स्वतंत्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप पर सटीक बैठ रही है। उन्होंने ख्वाबों में भी नहीं सोचा होगा कि … Read more