ठेंगे पर रही आचार संहिता

राजेन्द्र हाड़ा
राजेन्द्र हाड़ा
नगर निगम चुनाव मे पार्षद का चुनाव लड़ने वालों के लिए खर्च सीमा थी अस्सी हजार रूपए परंतु जो और जैसा खर्चा प्रत्याशियों ने किया वह अजमेर की जनता के लिए आंखें चौंकाने वाला है। कुछ बानगी पेश है। एक निर्दलीय प्रत्याशी ने एक दिन तीन हजार लोगों के लिए गोश्त-रोटी का खाना किया। चुनाव टीम के लिए रोजाना दोनों समय का खाना, चाय-नाश्ता होता था वह अलग। उस वार्ड मेें कुल चार प्रत्याशी थे। हर वार्ड में चुनाव टीम के लिए रोजाना दोनों समय का खाना, चाय-नाश्ता और दारू का इंतजाम हर प्रत्याशी की ओर से किया गया। इंतजाम रहता था पचास से लेकर दो सौ से अधिक लोगों का। जनसंपर्क और रैलियों में जाने वालों को प्रत्याशियों ने रोजाना सौ-सौ रूपए से लेकर दो-ढाई सौ रूपए नकद, खाना और दारू दी। इनमें कई फुटकर मजदूर थे। उन्हें मजदूरी पर जाने की जगह प्रचार की मजदूरी करवाई गई। एक प्रत्याशी ने दिल्ली से एक विश्वविद्यालय से करीब दो सौ छात्र-छात्राओं की टीम प्रचार के लिए बुला ली। स्थानीय टीम और खर्चों के अलावा इन छात्र-छात्राओं के रहने, वाहन, खाने-पीने बीयर, कोल्ड ड्रिंक, आईस क्रीम आदि का खर्च अलग था। चुनाव आयोग ने हर प्रत्याशी को अधिकतम तीन वाहन साथ रखने की अनुमति दी। परंतु ज्यादातर चुनाव क्षेत्र में एक दर्जन वाहन घूमना आम बात थी। एक निर्दलीय महिला प्रत्याशी ने अपने कई मतदाताओं को एक हजार से ज्यादा रूपए के कीमती गिफ्ट पैक बांटे। इसमे पुरूष के लिए शराब की बोतल, बच्चो के लिए मिठाई, महिलाओं के लिए उनकी जरूरत का सामान था। चुनाव की एक रात पहले कई इलाकों में जमकर शराब बांटी गई। चुनाव वाले दिन मतदान बूथ तक वाहन मतदाताओं को लाते ले जाते रहे। पुलिस वालों की छाती पर वह वाहन खाली करते और भरते रहे परंतु वे देखकर भी आंखें मूंदे हुए रहे। चुनाव पार्टी जब मतदान केंद्रों पर पहंुची तो वहां पहुंचने से लेकर मतदान होने और मतदान केंद्र पर ड्यूटी पर मौजूद पुलिस वालों की हर तरह से खाने-पीने, नाश्ते का इंतजाम प्रत्याशियों ने किया। एक प्रत्याशी ने चुनिंदा मतदाताओं को एक-एक हजार रूपए बांटे। इसके अलावा बैनर, पोस्टर, फलैक्स, झंडों, मालाओं पर भी जमकर खर्च हुआ। प्रत्याशी जहां जाता वहीं उसके चेले-चपाटे पहले ही मालाएं पहुंचाते रहे। प्रत्याशियों को तौलने का नाटक भी खूब हुआ। कभी केलों से तो कभी नारियलों से। प्रत्याशी अपनी तुलाई का खर्च खुद ही करता था और बाद में तौली गई सामग्री मतदाताओं में बंटवाने की दरियादिली दिखाता था। यही कारण रहा कि कई प्रत्याशियों का चुनाव खर्च एक करोड रूपए तक जा पहुंचा। प्रशासन की आंखों में धूल झौंकी नहीं गई बल्कि उनकी आंखों के सामने सब कुछ हुआ। हिसाब आएगा वही चालीस से साठ हजार रूपए खर्चे का। कुछ प्रत्याशियों पर कई व्यापारियों ने जुंआ खेला। जमकर खर्च किया, बाद में वसूली तय है। कुछ प्रत्याशी ऐसे भी रहे जो पूर्व में पार्षद रहे और अपनी जमा पूंजी में से खर्चा किया। कई ने बतौर निवेश कर्ज भी लिया। परिणाम वाले दिन पता लगा लगेगा कितनों के लिए यह भावी निवेश साबित हुआ और कितने कर्ज में डूबे। परंतु एक बात तय है। जितना रूपया सभी प्रत्याशियों ने खर्च किया यदि उसका वास्तविक हिसाब लगाया जाए तो उतने पैसे से अजमेर वैसे ही स्मार्ट हो जाए। -राजेन्द्र हाड़ा 09829270160

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