नाम चाहे कितने ही पहुंचें, कार्यकारिणी तो पायलट ही फाइनल करेंगे

vijay-sachinहालांकि पहले ये समझा जा रहा था कि शहर जिला कांग्रेस कमेटी की नई कार्यकारिणी सितंबर के बाद ही घोषित हो पाएगी, मगर प्रदेश के प्रभारी गुरुदास कामथ के निर्देश के बाद कमेटी के गठन की कवायद यकायक तेज हो गई है। जाहिर है कि कार्यकारिणी में अपना नाम जुड़वाने के इच्छुक दावेदारों में भी भारी हलचल है। हर कोई अपने आका के जरिए अपना नाम जुड़वाने की जुगाड़ कर रहा है।
समझा जाता है कि तकरीबन ढ़ाई सौ कार्यकर्ता हैं, जो कि कार्यकारिणी में आना चाहते हैं। कार्यकर्ताओं की इतनी संख्या इस कारण हो गई है क्योंकि पूर्व विधायकों से भी नाम सुझाने को कहा गया है। हालांकि प्रदेश हाईकमान ने ऐसा सबको साथ लेकर चलने के मकसद से किया है, मगर निचले स्तर पर कई गुटों में बंटे कार्यकर्ताओं में सिर फुटव्वल की स्थिति पैदा हो गई है। ज्यादा खलबली उन कार्यकर्ताओं में है, जो कि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट से नाइत्तफाकी रखने वाले पूर्व विधायकों से दूर रह कर अपने आपको सीधे पायलट खेमे से जोड़ कर चल रहे थे। उन्हें लग रहा है कि यदि पायलट विरोधी पूर्व विधायकों के चहेतों के नाम भी जोड़े जाएंगे, तो फिर उनकी लंबी वफादारी का क्या होगा?
स्वाभाविक रूप से शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन सशंकित हैं कि कहीं उन कार्यकर्ताओं के नाम न मंजूर हो जाएं, जो गुटबाजी के चलते उनसे दूरी बना कर चल रहे थे। जब से वे अध्यक्ष बने हैं, यूं तो कई कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यक्रमों में शिरकत की है, मगर उनमें से कुछ उनके बेहद करीब आने में कामयाब हो गए। जाहिर सी बात है कि वे जैन के साथ कंघे से कंघा मिला कर इसीलिए चल रहे थे क्योंकि उन्हें कार्यकारिणी में लिए जाने की उम्मीद थी। जैसे ही पूर्व विधायकों से भी नाम मांगे गए और उन्होंने दे दिए तो जैन के करीबी कार्यकर्ताओं में शंका उत्पन्न हो गई। अब वे सीधे जयपुर जा कर जुगाड़ कर रहे हैं। वैसे जैन ये भलीभांति जानते थे कि वे भले ही अध्यक्ष बन गए हों, मगर कार्यकारिणी पर आखिरी मुहर प्रदेश अध्यक्ष ही लगाएंगे। कार्यकारिणी को आखिरी रूप देने के दौरान पूरी छानबीन की जाएगी। पूरी कार्यकारिणी जैन की पसंद की होगी, इसका गुमान उन्हें भी नहीं था। ऐसे में उनकी कोशिश इतनी रहेगी कि उन कार्यकर्ताओं के नाम जरूर जुड़वाएं, जो कि उनके साथ एक जुट हो कर चल रहे हैं और आगे भी चलेंगे।
वैसे उम्मीद यही की जा रही है कि कार्यकारिणी संतुलित होगी और उसमें सभी गुटों को स्थान मिलेगा। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के लिए ये जरूरी भी है। अब देखने वाली बात ये है कि पायलट से नाइत्तफाकी रखने वाले नेताओं के कितने चहेते कार्यकारिणी में स्थान हासिल कर पाते हैं। बाकी इतना तय है कि कार्यकारिणी का एक एक नाम पायलट की जानकारी से गुजरेगा। अपना चुनाव क्षेत्र होने के कारण वे इसमें तनिक भी लापरवाही नहीं करेंगे।

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