नियमों की हो रही है खुले आम अवहेलना

माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी ने आबकारी विभाग और पुलिस को आदेश दिए कि शराब की दुकानें 08.00 बजे रात्रि को निश्चित रूप से बन्द हो जानी चाहिए और दुकानों पर रेट लिस्ट लगी होनी चाहिए तथा आबकारी विभाग के अधिकारियों के मोबाइल नम्बर दुकान पर सूचीबद्ध होकर टंगे रहने चाहिए तथा कोई भी दुकान के अन्दर बैठकर शराब ना पीए यह सुनिश्चित कर लिया जाए, शराब का मूल्य एम.आर.पी. मूल्य से किसी भी हालत में अधिक ना लिया जाए और शराब की दुकानों पर सोडा, नमकीन जैसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होनी चाहिए।*

राजेश टंडन एडवोकेट
*अजमेर पुलिस ने तो अपना काम बखूबी निभा दिया है शहर की शराब की दुकानें तो अब रात्रि 08.00 बजे के लगभग बन्द होने लगी हैं परन्तु ग्रामीण क्षेत्र की दुकानों पर अभी तक यह आदेश पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है परन्तु जहां तक आबकारी विभाग का सवाल है आबकारी विभाग वाले अपने दायित्वों और मुख्यमंत्री जी के आदेशों की बिलकुल पालना नहीं कर रहे हैं और प्रत्येक दुकान पर अगर जाकर अवलोकन किया जाए तो किसी भी दुकान पर रेट लिस्ट प्रदर्शित नहीं की जा रही है और ना ही अधिकारियों के मोबाइल नम्बर वहां पर लिखे हुए हैं, प्रत्येक दुकान पर ग्राहकों को बैठाकर शराब परोसी जा रही है और पिलाई जा रही है, दुकानों के बाहर अण्डों के ठेले व अन्य खाद्य सामग्री बेचने वाले सहज उपलब्ध हैं जिनसे दुकानदार खड़े होने के भी पैसे ले रहे हैं और दुकानों पर डिस्पोजे़बल गिलास, नमकीन, पानी की बोतल और सोडा की बोतल सहज ही दुकानदार उपलब्ध करवा रहे हैं और उनके भी दुगुने पैसे ले रहे हैं।*

*जहां तक शराब के मूल्यों का संबंध है निर्धारित एम.आर.पी. से दुकानदार 20 प्रतिशत ज्यादा पैसे ले रहे हैं और किसी प्रकार का भय उन्हें नहीं है ये तो रात्रि 08.00 बजे तक की रेट्स हैं और 08.00 बजे बाद 40 प्रतिशत अधिक मूल्य लेकर दुकानों की साइड की खिड़कियों या दुकान के अन्दर एक सेल्समैन बैठाकर शटर के नीचे से शराब सरेआम उपलब्ध करवाई जा रही है और बाहर विभिन्न ठीयों पर मदिरा की उपलब्धता है जहां पर भी विभागों की मिलीभगत से निःसंकोच बिक रही है, दुकानदारों का कहना है कि हम मोटी राशि मंथली के रूप में आबकारी विभाग और पुलिस विभाग को नियमित दे रहे हैं और ये दोनों ही विभाग हमें छोड़ते नहीं है तो ऐसे में हम क्या घर के पैसे लगाकर व्यापार करें ? शराब की दुकानों पर 20 प्रतिशत लाभ का मार्जिन है जिससे दुकानदारों का कहना है कि खर्चे ही निकल पाते हैं बाकी बेगारें और मंथली तो अधिक मूल्य लेने से हम चुका सकते हैं और जब तक अगर शराब दुकान पर बैठाकर नहीं पिलाएं तो सेल डाउन हो जाती है और देसी शराब की तो गारण्टी पूर्ति भी नहीं हो पाती है ऐसी स्थिति में हमें यह सब कुछ करना पड़ता है। आबकारी विभाग वालों का कहना है कि अगर शराब की लिफ्टिंग यानि उठाव कम होती है तो भी हमें ऊपर जवाब देना पड़ता है इसलिए हमारा कानून व्यवस्था से कोई लेना देना नहीं है हमें तो राजस्व की पूर्ति करनी पड़ती है और इसके लिए व्यापारियों को शराब बेचने की छूट देनी पड़ती है, इस वजह से हम तो शराब की दुकानों को देखकर मुंह फेर कर निकल जाते हैं और अपनी मंथली का भी ध्यान रखते हैं कि दुकानदारों से जब नियमित पैसे लेते हैं और ऊपर तक अफसरों की बेगारें करते हैं, हर बड़े अधिकारी के घर महंगी से महंगी शराब पंहुचाते हैं तो वो कहां से लाएं ? इसलिए व्यापारियों को छूट तो देनी ही पड़ती है।*

*बार की लाईसेन्सियों की भी मौज हो गई है वो भी देर रात तक यानि 12-1.00 बजे तक बन्द बोतलें, पउए, अद्धे और बीयर की बन्द बोतलें अधिक मूल्यों पर बेच रहे हैं जबकि वे बन्द बोतल नहीं बेच सकते, उन्हें तो पैग बना कर ही शराब बार में आए ग्राहकों को देने का कानून है परन्तु वह रात्रि में 01.00 बजे तक बहुत अधिक मूल्यों पर बन्द बोतलों की पेटियां की पेटियां शराब बेच रहे हैं। सरकार की नीतियां तो जनहित में अच्छी हैं परन्तु नीचे के विभागीय कारिन्दे अपने स्वार्थों की वजह से उनको लागू नहीं होने देते, पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगती से शराब के दुकानदार ग्राहकों को लूट रहे हैं और हरियाणा निर्मित शराब भी विभागीय मिलीभगती से दुकानों पर बेच रहे हैं इन सब पर अंकुश नहीं लग रहा है और समाज के सामने सरकार के आदेश तमाशा बन रहे हैं और सरकार लाचार होकर अपने आदेशों का ज़नाज़ा निकलते हुए देख रही है।*

राजेश टंडन, वकील, अजमेर

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