आपने देखा होगा कि विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वासुदेव देवनानी के पीछे हाथ धो कर पडे थे। उनमें खुद उनके अपने भी षामिल थे। कुछ ने तो मुख्य मुकाबला महेन्द्र सिंह रलावता व ज्ञान सारस्वत के बीच बताते हुए देवनानी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। मगर सारे प्रयासों और कयासों के बाद भी देवनानी जीत गए तो वे ही लोग अब उनकी मिजाजपुर्सी में लगे हुए हैं। उनकी तारीफ में विरूदावली गा रहे हैं। कमाल है, इतना तो गिरगिट भी तेजी से रंग नहीं बदल पाता होगा। वाकई चमत्कार को नमस्कार है।