रेलवे भी भागीदार हो सकता है शहर के विकास में

Railway Station 6यह जानकर प्रसन्नता होती है कि अब अजमेर के प्रशासनिक अधिकारी व रेलवे के अफसर मिल कर अजमेर के विकास पर ध्यान दे रहे हैं। इस संबंध में मेरे कुछ निजी सुझाव हैं, जिनसे आपको अवगत करा रही हूं :-
1. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि आनासागर के अतिरिक्त पानी और विश्राम स्थलियों पर भरे पानी से हम अजमेर के अन्य स्थानों पर सूखे पड़े कुओं का पुनरोद्धार कर उनमें यह पानी सुशोधित कर स्थानान्तरित कर दें। योजना बनाकर आम आदमी से भी सहयोग लिया जा सकता है। इस पानी से नगर के विभिन्न पार्कों को सिंचित करने के काम में लिया जा सकता है। इस पानी का उपयोग हाईवे पर लगे वृक्षों को सिंचित करने में भी लिया जा सकता है। इसके लिए हाईवे ऑथोरिटी से सहायता लेकर अजमेर के पास एक बड़ी सी टंकी बना दी जाए, जिसे रोड के साथ-साथ पाइपों द्वारा जगह-जगह पार आउट लेट देकर वहां से इन्हेें सिंचित कर दिया जाए।
2. क्या ऐसा संभव नहीं हो सकता कि रेलवे अपनी खाली पड़ी जमीनों, बड़े-बड़े रेलवे आवासों में अतिरिक्त व्यर्थ पड़ी जमीनों से पर्यावरण संतुलन के लिए सघन वृक्षारोपण की अनुमति प्रदान कर दें ताकि प्रथम तो अतिरिक्त पानी का सदुपयोग हो सके, पशु-पक्षियों को आश्रय स्थल मिल सके और भविष्य में अच्छी वर्षा का आह्वान किया जा सके।
3. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि अजमेर मुख्य स्टेशन पर आने वाली सभी गाडिय़ों में उतरने एवं बोर्डिंग हेतु आदर्शनगर, दौराई और मदार पर महत्वपूर्ण गाडिय़ों के ठहराव एवं उचित स्थान एवं सुविधा प्रदान कर दी जाए ताकि इन क्षेत्रों से संबंधित यात्रियों को ट्रांसपोर्ट का व्यय और इसमें लगने वाले समय से कुछ निजात मिल सके और स्टेशन रोड पर स्थित मुख्य सड़क पर यातायात का दबाव कम हो सके।
4. अजमेर में वर्ष भर एक दूसरे कारणों से तीर्थ यात्रियों, जायरीनों की आवक बनी रहती है, इनके लिए कुछ निर्धारित स्थानों पर ऐसे शौचालय तैयार कराए जाएं, जिनका मल-मूत्र एक बड़े कुए में संग्रहित कर एक बायोगैस प्लांट संचालन हेतु कार्य में लिया जाए और इस गैस को किसी सार्थक रूप यथा स्ट्रीट लाइटों या सार्वजनिक सुलभ कॉम्पलेक्सों में गर्म पानी की सुविधा के लिए काम में लिया जा सके और इससे निकले कम्पोस्ट को कृषि कार्यों में उपयोग किया जा सके।
ये कुछ प्राथमिक सुझाव हैं। मैं जानती हूं, मुझसे कहीं अधिक बुद्धिमान एवं योग्य व्यक्ति आपके अखबार को पढ़ते है, वह भी जरूर कुछ न कुछ सोचते होंगे, परन्तु आवश्यकता है इसे अमल में लाने की।
-मधुलिका राठौड़, राजभाषा अधिकारी
अजमेर मंडल उत्तर पश्चिम रेलवे
मो. 9001196003
अजयमेरु टाइम्स से साभार

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