जब नरेंद्र मोदी विपक्ष में थे और मनमोहन सिंह की सरकार में डॉलर की कीमत निरंतर बढ़ रही थी ,तब वह सरकार पर ताना मारते हुए कहा करते थे कि डॉलर की कीमत और प्रधानमंत्री की उम्र के बीच बढ़ने का मुकाबला चल रहा है । यह भी कहते थे कि इससे विश्व में भारत की साख गिर गई।
लेकिन अब ऐसा लगता है कि डॉलर ने मोदी की उम्र को बहुत पीछे छोड़ कभी उनके गुरु और पथ प्रदर्शक रहे और अब भाजपा में उपेक्षित राजनीतिक जीवन गुजार रहे लालकृष्ण आडवाणी के चरणों में धोक देने का फैसला कर लिया। इसलिए रोजाना तेजी से बढ़ रहा है। हो सकता है मोदी भी इसलिए इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हो कि जब कोई चीज आडवाणी की तरफ जा रही है तो वह उसकी भी तो उपेक्षा ही करेंगे। और हां ,पेट्रोल की कीमत भी तो आडवाणी जी की उम्र (90) के करीब पहुंचने को उतावली है। और रुपए की ऐतिहासिक गिरावट के कारण देश की साख को लेकर अब वे क्या क्या तर्क देंगे?
ओम माथुर/9351415379