देश की मुआवजे की राजनीति पर… खांटी खड़गपुरिया की चंद लाइनें
सरकार की इस अदा पर मरने को जी करता है जीते जी नहीं थे काम के पर मरने पर लाखों का चेक कटता है जिंदा थे तब नहीं थी फुर्सत तबियत पूछने की ज्यों मरे तो लंबा जुलूस निकलता है जहालत भरी जिंदगी के दरम्यांन शक्ल देखना भी नहीं था गवारा मयखाने में मर गए … Read more