आंखों में अश्क लबों पे मुस्कान है

मीनाक्षी 'नाज'
मीनाक्षी ‘नाज’
आंखों में अश्क लबों पे मुस्कान है
इस दिल की यही तो बाकी बची पहचान है

हर एक कतरे पे लिखी है दास्तान कई दिल के मेरे
पढ़ रहा जो भी वो मेरे भगवान हैं

कभी पतझड़ है तो कभी बहार है मगर
दिल के गुलिस्तां में नहीं कोई सयाबान है

हर तरफ आग का दरिया था और तैर के जाना मुझको
पग पग रोकता रहा जैसे कोई शैतान है

मेरी कश्ती ही थी तिनकों के भरोसे और मुझे
डुबा रहा था जो आंधियां तूफान है

गिरते संभलते चल रही थी जैसे साथ में
मेरी बैसाखियां ही बनीं मेरी पहचान हैं

उम्र भर रहेगी ऐ ‘नाज’ तुझ पर नाज तुझे
कहां तुझसा भी बन पाया कोई इंसान है

मीनाक्षी ‘नाज’

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