लो जी, आ गया काला धन वापस

Ayush Laddha
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राजुभाई अडानी से लेकर हमीदभाई अम्बानी तक, सबने कतार में लग कर अपने काले धन को बैंक में जमा कराया। स्विस बैंकों में लाइने लग गई हैं और लोग अपना पैसा भारतीय रुपयों में बदलकर भारतीय बैंकों में जमा कर रहे हैं। ‘केवल देशद्रोही’ पत्रकार, ब्यूरोक्रेट्स, सिर्फ भ्रष्ट ‘पुलिस अफसर’, किराया लेकर रेंट रिसीप्ट न देने वाले मकानमालिक, 5000 की सैलरी देकर 20000 पर साइन करानेवाले एम्प्लायर, कॅश में बिजनेस करने वाले सारे धन्ना सेठ, सब लाइन में लगे दिखाई दिए। सबने अपनी जमीन जायदाद, सोना, हीरे बेच कर 500-1000 के नोट लिए और फिर उसे जमा कराने के लिए लाइन में लगे। जिस तरह का उत्साह इन सब ने दिखाया है, वाकई नोटबन्दी की सफलता की कहानी कहता है। और अगर ऐसे में, कोई केजरीवाल टाइप का आदमी अगर इस योजना के बारे में गलत कहे, तो निस्संदेह उसे दरकिनार कर देना चाहिए। खबर आई है कि, इनमे से कई लोगो ने बैंकों में वीआईपी लाइन की बात कही थी, तो वहाँ खड़ी जनता ने यह बोल कर इनकी धुनाई कर दी, कि देश का सैनिक वहां इतनी धूप में रोज खड़ा है, और तुम्हे 1 घंटे में दिक्कत हो रही है।
2 लाख करोड़ का काला धन बैंको में जमा हो गया है, और अभी इसका 5 गुना और जमा होने की आशंका है।
फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप्प वाले क्रांतिकारी सबसे ईमानदार साबित हो गए हैं, क्योंकि उन सब ने इसका समर्थन किया है। वो अर्थशास्त्री जो चीख चीख कर कह रहा है कि यह योजना नकली नोटों को रोकने के लिए है, काले धन के लिए नहीं, निस्संदेह वो पाकिस्तान से मिला हुआ है और उसके पास अपार कालाधन है।
जिस गरीब ने अपनी बेटी की शादी का रोना रोया था, उसके पास करोड़ों का कालाधन होना साबित हो गया है, इसी बीच कुछ ईमानदार लोग टीवी पर आकर कह रहे हैं कि शादी तो हमारी बेटी की भी है, पर हम मोदीजी की इस योजना का समर्थन करते हैं, ऐसे लोग देश के लिए वरदान हैं।
इस बीच बैंकों की तरफ से भी बयान आया है कि सारे के सारे डिपाजिट 1 करोड़ से अधिक के हैं, इस से नीचे एक भी नहीं, जिस से साबित हो गया है कि सिर्फ काला धन रखने वाले लोग ही बैंकों में जाकर धन जमा कर रहें हैं।
और तो और, नए 2000 के नोट की विशेषताओं को मद्देनजर रखते हुए, सारे अफसरों ने रिश्वत न लेने की कसम खा ली है।
तो आज तक का काला धन तो वापस आया ही है, अब कालाधन न बने, इसकी भी माकूल व्यवस्था हो गई है। वाकई मोदी जी, ये रामबाण तो आप ही चला सकते है। शायद इसी को अच्छे दिन कहते हैं।

CA Ayush Laddha

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