आस्था या रोजी रोटी राम मंदिर का सहारा

sohanpal singh
श्री रामजी रघुकुल के सूर्यवंशी क्षत्रिय वंश के राजा थे लेकिन एक बात समझ में नहीं आती की अधिकांश क्षत्रिय राम मंदिर आंदोलन से दूर हैं परन्तु यह भी आश्चर्य जनक सच है की पूरी ब्राह्मण लॉबी और वैश्य लॉबी इस राम आंदोलन में जी जान से जुटी हुई है क्या इस आंदोलन के पीछे भी कुछ व्यापारिक हित छुपे हुए है जहाँ तक राजनितिक हित साधन की बात है वह अपनी जगह है उससे कोई इंकार भी नहीं कर साकता क्योंकि चार वर्णो में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और सूद्र में भारत में शूद्रों की संख्या ८५ प्रतिशत है हालांकि इस ८५ प्रतिशत में जो लोग आते है वे सब सूद्र नहीं है उनकी गिनती पिछडो में होती है लेकिन आरएसएस के हिंदुत्व पर वे संब फिट बैठते है इस लिए हमें तो यह लगता है की राम मंदिर का मुद्दा विशुद्ध रूप से व्यापारिक है आस्था या धर्म या जाती से नहीं है अगर आस्था या जाती से होता तो क्षत्रिय समाज आस्था की पूर्ति के लिए या तो स्वयं मिट जाता या सामने आने वाली किसी भी बाधा को अब तक मिटा चूका होता और यही सबसे बड़ा कारण है की आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया की मंदिर निर्माण का मसले की शीघ्र सुनवाई हमारी प्राथमिकता में नहीं ?

एसपी सिंह मेरठ

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