पढाई में पाना चाहते हैं सफलता, तो करें गजानन की पूजा

गणेशजी को बुद्धि के देवता कहा जाता है। जिन छात्रों को पढाई में सफलता नहीं मिलती उन्हें गणेशजी का ध्यान और उनका पूजना करना चाहिए जिसके चलते आप पढाई में सफलता हासिल कर सकते हैं।

ऐसे करें गजानन की पूजा
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प्त बुद्धि के देवता श्री गणेश की प्रतिमा को अपने घर में स्वच्छ करके मंदिर में लाल रंग के कपडे पर स्थापित करें। खुद स्नान कर और गणेशजी की पूजा करें और उन्हें दूर्वा, पान, सुपारी, इत्र, दुग्ध, दही, शहद, रोली, सिन्दूर, पुष्प से विधिवत पूजन करें।
इसके अलावा पहले उन्हें गणेश प्रतिमा के साथ कलश रखें गणेश जी को नई पीली धोती, जनेऊ, आभूषण, माला धारण कराएं।
इसके बाद छात्र अपनी पढाई की वस्तुओं को मूर्ति के सामने स्थापित कर दें और इन सब चीजों से उनका पूजन करें। इस दौरान आप भगवान गणेश से सफलता और ज्ञान पा सकते हैं।

भगवान श्रीगणेश का नवग्रहों से संबंध
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गजाननजी को ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह से संबद्ध किया जाता है। इनकी उपासना नवग्रहों की शांतिकारक व व्यक्ति के सांसारिक-आध्यात्मिक दोनों तरह के लाभ की प्रदायक है।
अथर्वशीर्ष में इन्हें सूर्य व चंद्रमा के रूप में संबोधित किया है। सूर्य से अधिक तेजस्वी प्रथम वंदनदेव हैं। इनकी रश्मि चंद्रमा के सदृश्य शीतल है। गणेश जी की शांतिपूर्ण प्रकृति का गुण शशि यानी चंद्रमा में है। वक्रतुण्ड में चंद्रमा भी समाहित हैं। पृथ्वी पुत्र मंगल में उत्साह का सृजन एकदंत द्वारा ही आया है।
बुद्धि, विवेक के देवता होने के कारण बुध ग्रह के अधिपति तो ये हैं ही, जगत का मंगल करने, साधक को निर्विघ्नता पूर्ण कार्य स्थिति प्रदान करने, विघ्नराज होने से बृहस्पति भी इनसे तुष्ट होते हैं।
धन, पुत्र, ऐश्वर्य के स्वामी गणेशजी हैं, जबकि इन क्षेत्रों के ग्रह शुक्र हैं। इस तथ्य से आप भी यह जान सकते हैं कि शुक्र में शक्ति के संचालक आदिदेव हैं।
धातुओं व न्याय के देव हमेशा कष्ट व विघ्न से साधक की रक्षा करते हैं, इसलिए शनि ग्रह से इनका सीधा रिश्ता है।

राजेन्द्र गुप्ता
गणेशजी के जन्म में भी दो शरीर का मिलाप (पुरुष व हाथी) हुआ है।
इसी प्रकार राहु-केतु की स्थिति में भी यही स्थिति विपरीत अवस्था में है अर्थात गणपति में दो शरीर व राहु-केतु के एक शरीर के दो हिस्से हैं।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076, 7976009175
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