हम रोज टूथपेस्ट कर रहे है या जहर?

*-विकास छाबड़ा @ रोशन भारत न्यूज-*
मदनगंज-किशनगढ़। देश में कितने पढ़े लिखे बेवकूफ लोग है जो करीब 450 रूपए किलो का टूथपेस्ट दांतो पर रगड़ के थूक देते है। और फिर कहते है कि हम बड़े स्मार्ट है। हम कितना फालतू का खर्चा करते है। एक आदमी टूथपेस्ट व टूथब्रुश का प्रयोग अपनी उम्र के 60 साल तक करता है तो वह हजारों रूपए इस पर व्यर्थ में खर्च कर देता है। बंद करों ये इसकी कोई जरूरत नहीं है।
यह बात आजादी बचाओ आंदोलन के प्रणेता, भारत स्वाभिमान आंदोलन के प्रणेता, मशहूर चिंतक व समाज सुधारक रहे राजीव दीक्षित ने कही।

उन्होंने कहा कि दांत साफ करना है तो दातून करो। फोकट का काम करों। नीम की दातून, बबूल की दातून, अमरूद आम जैसे 12 तरह के पेड़ है जिसकी दातून की जा सकती है। जो टेक्स फ्री, कोस्ट फ्री भी है। साइड इफेक्ट कुछ नहीं है एक्सपायरी डेट कुछ नहीं है। एक दातून 7 दिन काम में ली जा सकती है। वो ऐसे कि .. दातून किया चबाया आगे का हिस्सा काट दिया। पानी में डालकर रख दिया। दूसरे दिन फिर कर लिया। एक बार आईआईटी का लड़का मुझे पूछता है कि क्या मूर्खता का काम करते है एक दातून को सात दिन उपयोग करते हो। मैंने कहा तू ये बता कि टूथब्रश को कितने दिन तक काम में लेते हो। तो बोला साल भर तक करते है। मैं बोला तो तू महामूर्ख है, मैं तो सात दिन में बदल लेता हूँ तू साल भर एक ही ब्रुश को रगड़ता रहता है। टूथब्रुश को जब हम रगड़ते है तो मसूड़ों पर घर्षण होता है सब मसूड़े छिल जाते है, कमजोर हो जाते है। जिनके मसूड़े कमजोर होते है उनके दांत कमजोर हो जाते है। जिनके दांत कमजोर है उनकी जिंदगी में कोई आनंद नहीं है। दूसरी समस्या है टूथब्रश में जहां ब्रशल लगे रहते है वहां पीला पीला सफेद सफेद कचरा जमा हो जाता है। उस पर हजारों वायरस आकर जिंदा बैठ जाते है और रोज आप उसको मुंह में डालकर क्या खतरनाक काम कर रहे हो। टूथपेस्ट जिसे आप करते है उसमें झाग बहुत बनते है। झाग तो वाशिंग पाउडर में भी बनते है। झाग तो शेविंग क्रीम में भी बनते है। तो फिर दांतों पर शेविंग क्रिम क्यों नहीं रगड़ते ? राजीव दीक्षित करते है कि जिस वस्तु से शेविंग क्रिम में व वॉशिंग पाऊडर में झाग बनते है। वहीं वस्तु टूथपेस्ट मे मिलाई जाती है। उसको कहते है *सोडियम लोरेल सल्फेट*। और यह एक ऐसा खतरनाक केमिकल है जो *कैंसर* कर देता है। यूरोप के देशों में जब टूथपेस्ट बेचा जाता है। तो उस पर चेतावनी लिखी होती है कि सावधान टूथपेस्ट करने से कैंसर होता है। छ: साल से छोटे बच्चों को टूथपेस्ट कभी मत कराना क्योंकि बच्चे इसे चाट/निगल लेते है जिससे वो कैंसर से मर सकते है। साथ में यह भी लिखा होता है अगर बच्चें ने टूथपेस्ट कर लिया तो बच्चें को हॉस्पिटल लेकर जाना। टूथपेस्ट में डाला जाने वाला सोडियम लोरेल सल्फेट एक प्रकार का जहर है। ये केमिकल 1 बूूंद अगर आपकी जीभ पर गिरा दे तो जीभ पर ही कैंसर हो जाएगा। इसलिए हमें दातून करना चाहिए। अगर दातून ना मिले तो दंत मंजन करों। दंत मंजन भी फ्री वाला करों। थोड़ी हल्दी लो, थोड़ा सरसू का तेल डालो और थोड़ा सा नमक मिला लो। फिर दांतों पर घिसों। ये सबसे अच्छा दंत मंजन है। या फिर नींबू का रस निकल जाने के बाद छिलके को उलटा कर लो और उस पर थोड़ा नमक लगा लो और फिर उसे दांतों पर रगड़ लो। दांत बिल्कुल साफ हो जाएंगे। या फिर आप आम के पत्ते को थोडी देर चबालो। चबाने के बाद उसकी लुग्दी बन जाएगी। उसको दांतो पर रगड़ दो। दांत एकदम साफ हो जाएंगे। ये सब फ्री का इलाज है। और अगर खरीदना ही है तो दंत मंजन खरीद लो। लाल दंत मंजन, काला दंत मंजन आदि इनसे कर लो। या तो दातून करों या दंत मंजन करो। टूथपेस्ट बंद टूथब्रुश बंद। (रोशन भारत)

*ये बनता है मरे हुए जानवरों की हड्डियों से*
राजीव दीक्षित कहते है कि ज्यादातर टूथपेस्ट बनते है मरे हुए जानवरों की हड्डीयों के पाउडर से। और उसी को हम मुंह में लगाते है और वो भी रोज सवेरे-सवेरे। अब तुम ही बताओं कैसे प्रसन्न होंगे भगवान। इसलिए बंद करों टूथपेस्ट। इससे हमारे देश का बहुत पैसा बचेगा। राजीव दीक्षित कहते है कि मैंने एक दिन हिसाब निकाला टूथपेस्ट बंद कर दे और ब्रुश बंद कर दे और जो पैसे बचे अगर उतने से ही दातून खरीदने लगे। पचास पैसे की एक दातून, तो करीब 30 लाख लोगों को दातून बेचने का रोजगार मिल जाएगा इस देश में। मुम्बई के सब रेलवे स्टेशन पर दातून बिकता है जब वहां बिक सकता है तो और जगह क्यों नहीं बिक सकता है? साथ ही हमें दातून के लिए हर साल कम से कम एक पेड़ भी जरूर लगाना चाहिए।

(यह एक गंभीर व चिंतनीय विषय हमने स्वर्गीय राजीव दीक्षित के यूट्यूब के उनके ऑफिशियल चैनल के एक वीडियो से प्रभावित होकर लिया है आप भी सहमत हो तो हमें जरूर बताएं)

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