नगर सेठ

हेमंत उपाध्याय
एक नगर के नगर सेठ ने अपनी ओर से शमशान घाट पर जलाऊ लकड़ियांँ गरीबों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध करा रखी थीं । उनके विदेश चले जाने के बाद जो नगर सेठ कहलाए उन्होंने अपनी जीनिंग फेक्ट्री की लोहे की ट्राली नि:शुल्क उपलब्ध करा रखी थी। जो शव वाहिनी के काम में व लकड़ी घाट पर पहुंँचाने के काम के लिए थी पर तब नगर में कंधे पर ही शव ले जाने की प्रथा थी सो मात्र कुछ नेताओं के ही काम की बैलगाड़ी वाली ट्रली थी। जिनको पुरे नगर में घुमाते हुए चौराहों पर कई घंटों तक रोकने के बाद दोपहर से शाम तक शमशान घाट पहुंँचाया जाता था। उक्त पृथा के बाद में एक नगर सेठ ने नवाचार की पृथा प्रारंभ की है । एक शववाहिनी के साथ एक आई. सी. यू. की सर्वसुविधायुक्त एम्बुलेंस उपलब्ध करा दी, जिसके कारण कई गंभीर बीमारों को व दुर्घटना ग्रस्त लोगों को उच्च कोटी की महानगर की सुविधाएँ मिलने से नव जीवन मिल जाता व शव वाहिनी की यात्रा दीर्घकाल के लिए टल जाती ।
हेमंत उपाध्याय
साहित्य कुटीर पं. राम नारायण उपाध्याय वार्ड खण्डवा म.प्र. 450001
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