उपचार

नटवर विद्यार्थी
घर-घर में यह करो प्रचार ,
भीतर रहना ही उपचार ।

शत्रु बड़ा ही है बलशाली ,
हाथ हमारे बिल्कुल खाली ।
बाहर आते ही डस लेगा ,
कैसे होगी ईद- दिवाली ?

इसीलिए सबसे कहना है ,
रखो सुरक्षित घर- परिवार ।
घर-घर मे यह करो प्रचार ,
भीतर रहना ही उपचार ।

दिन- प्रतिदिन यह हमें खा रहा ,
रोज़ आँकड़ा बढ़ा जा रहा ।
कुछ तो मानव की मनमानी ,
नियमों को धत्ता बता रहा ।

क्यों बनते अपनों के दुश्मन,
रुक भी जाओ मेरे यार ।
घर-घर में यह करो प्रचार ,
भीतर रहना ही उपचार ।

त्याग करो कुछ इच्छाओं का ,
भान करो उठती आहों का ।
छोटी भूल बड़ी बन जाती ,
क्यों रोड़ा बनते राहों का ?

मंदिर-मस्ज़िद आज बंद है ,
अस्पताल में लगी कतार ।
घर-घर में यह करो प्रचार ,
भीतर रहना ही उपचार ।

हे राम! तुम्ही उद्धार करो*

है व्यथित आज प्रभु जग सारा ,
नहीं दूर-दूर तक किनारा ।
धरती से लेकर अम्बर तक,
बस गूँज रहा है कोरोना ।

आई विपदा की घड़ी देव ,
इस रावण का संहार करो ।
करबद्ध आपसे विनती है ,
हे राम! तुम्ही उद्धार करो ।

सुख- दुःख की प्रभु परवाह नहीं,
धन- दौलत की भी चाह नहीं ।
जीवन – मृत्यु भी सच्चाई ,
पर असमय मरना सही नहीं ।

हे कृपासिंधु ! करुणावतार ,
कुछ भूल हुई तो क्षमा करो ।
करबद्ध आपसे विनती है ,
हे राम! तुम्ही उद्धार करो ।

*नटवर पारीक , डीडवाना*

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