आठ आने की पूडी दो, आठ आने वापस दो ! हास्य-व्यंग्य

शिव शंकर गोयल
वर्षों पूर्व की बात है तब अजमेर रेलवे स्टेशन के सामने खाने-पाने की दो-तीन होटलें हुआ करती थी जहां पूरी-सब्जी आदि मिल जाती थी. एक रोज दो भूखे नौजवान बेकारी के आलम में वहां चक्कर लगा रहे थे. दोनों की जेब में एक पैसा नही. उस समय उन दुकानों पर खरीददारों की भीड लगी हुई थी. दोनों ने कुछ सलाह की और फिर एक नवयुवक एक होटल पर पहुंचा और ग्राहकों की भीड में शामिल होकर, औरों की तरह ही, उसने भी सेठजी को कहा सेठ साहब ! आठ आने की पूडी देना, आठ आने वापस देना. उस जमाने में आठ आने की पावभर(250 ग्राम) पूरी आजाती थी. पूरी-सब्जी-अचार और आठ आने उसे देते हुए सेठजी ने उससे पूछा कि यही, यानि होटल में बैठकर, खाओगे या ले जाओगे ? तो वह बोला कि यही बैठकर खायेंगे. सेठजी के द्वारा एक रू. मांगने पर वह बोला कि बाद में दे देंगे. सेठजी ने भी सोचा कि यही बैठकर खा रहा है, बाद में दे देगा. वह होटल के अंदर बैंच पर बैठकर पूरी खाने लगा.
कुछ देर बाद में उसने अपने साथी को भी ईशारा कर के बुला लिया जो मौके की तलाश में ही था.
दूसरे युवक ने भी आते ही सेठजी को कहा कि आठ आने की पूडी देना, आठ आने वापस देना और ईशारे से बताया कि यही बैठकर खाऊंगा. सेठजी ने उसे भी पूरी-सब्जी-अचार और आठ आने दे दिए. वह भी अंदर बैठकर पूरी-सब्जी खाने लगा. कुछ देर बाद पहले वाला खा-पीकर, नल पर हाथ धोकर, जाने लगा तो सेठजी ने उससे पैसे मांगें तो वह बोला कि कौनसे पैसे ? इसपर सेठजी ने कहा कि अभी तुमने पूडी-सब्जी ली है, उसके पैसे. तो वह बोला कि उसके पैसे तो मैं आपको दे चुका हूं और आपने मुझें आठ आने वापस भी दिए है. सेठजी ने कहा कि तुम झूठ बोल रहे हो. दोनों में बहस होरही थी जिसमें वहां खडे कुछ ग्राहक भी शामिल होगए. इसी बीच अंदर पूरी-सब्जी खा रहा नवयवक बोला सेठजी ! इस झगडे में तुम मेरे पैसे मत भूल जाना. पैसे उसने भी नही दिए थे लेकिन सेठजी ने सोचा कि अगर मैं इसको भी यही कहूंगा कि तुमने भी नही दिए तो मेरा पक्ष कमजोर हो जायगा और सब इनकी तरफ हो जायेंगे इसलिये वह बोला कि हां भाई तेरे पैसे तो आगए. तेरे से कौन मांग रहा है ?

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