रतल के बांट चलाइये !

हास्य-व्यंग्य

शिव शंकर गोयल
खबर है कि अप्रेल 2022 में फुटकर महंगाई दर बढकर 7.79 % पर पहुंच गई है. एक साल पहले यह 4.23 % थी. महंगाई बढ रही है यह बात और कोई माने न माने परन्तु अखबारों में आटा-दाल के भाव फिर छपने लगे है, यही ईशारा काफी है. कहावत है कि जब जनता को आटा-दाल के भाव पता लगने लगे तो समझो कि अब जेब ज्यादा ही ढीली होने वाली है.
वस्तुओं के भावों को स्थिर रखने या रोकने में बडे 2 व्यापारिक घराने एवं बडी 2 कंपनिया भी सहयोग कर रही है. उदाहरणार्थ 155 ग्राम वाला विम बार घटकर 135 ग्राम का होगया है. इसी तरह बीकाजी नमकीन 80 से 40 ग्राम हो गई. पहले जहां 30 रू. के पैकिट में 10 सेनेटरी पैड आते थे, अब सिर्फ 7 ही आ रहे है. जबकि पहले 100 रू. में150 ग्राम का चॉकलेट का पैकेट आता था, अब उसका वजन 100 ग्राम कर दिया गया है. ब्लेड के पैकिट में भी एक ब्लेड कम कर दी गई है हालांकि मूल्य वही है. इनका कहना है कि कहां बढाए है मूल्य ?
उल्लेखनीय है कि वर्षों पूर्व अपने समृध्द गुजरात में रतल के बांट चला करते थे. उनका वजन देश के अन्य भागों में प्रचलित बांटों से आधा होता था. मसलन एक सेर में जहां अन्य स्थानों पर 900 ग्राम वजन होता था तो रतल के एक सेर के बांट में 450 ग्राम ही होते थे. इससे वस्तु का वजन और मूल्य घटकर आधा रह जाता था. अगर सरकार अपने गुजरात के रतल के बांट चालू करदे तो महंगाई अपने आप घट जायेगी. इसमें न ङींग लगेगी न फिटकरी और रंग भी चौखा आ जायेगा.

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