यानि कि आम आदमी पार्टी का क्रेज तो है

टीम अन्ना के अलग हो कर आम आदमी पार्टी बनाने वाले अरविंद केजरीवाल की कार्यप्रणाली को लेकर भले ही उनके समर्थकों में असंतोष हो, मगर इससे यह तो साबित होता कि इस पार्टी में शामिल होने का कार्यकर्ताओं में बड़ा क्रेज है।
असल हुआ ये कि केजरीवाल ने पहले ये कहा था कि वे 26 नवंबर को अपनी पार्टी के नाम का ऐलान करेंगे, लेकिन उन्होंने दो दिन पहले ही कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में इसका ऐलान कर दिया, जहां 300 कार्यकर्ताओं ने पार्टी का संस्थापक सदस्य बनने के लिए फॉर्म भरे। इस पर वंचित रहे कार्यकर्ताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि वे शुरू से टीम अन्ना व बाद में केजरीवाल के साथ आंदोलन में जुड़े रहे, मगर उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। तिलक नगर विधानसभा इलाके से कार्यकर्ता प्रोफेसर अशोक अरोड़ा ने इस बात पर विरोध जताया कि उन्हें इस मीटिंग के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। प्रो. अरोड़ा ने शिकायत की कि जब इस मूवमेंट से हजारों कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं, तो सिर्फ 300 कार्यकर्ताओं को ही संस्थापक सदस्य क्यों बनाया जा रहा है। इसी प्रकार डॉ. ईश्वर प्रकाश शर्मा का भी आरोप था कि अरविंद केजरीवाल पक्षवाद की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। जब अभी से यह हाल है, तो बाद में क्या होगा?
केजरीवाल इस समस्या से कैसे निपटेंगे, ये तो वे ही जानें, मगर इस घटना से ये तो जाहिर हो ही रहा है कि नई पार्टी में शामिल होने का कार्यकर्ताओं के बड़ा रुझान है। कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा केजरीवाल ने जानबूझ कर करवाया, ताकि इस घटना की भी खबर बनें और यह संदेश जाए कि उनकी पार्टी की अभी से इतनी लोकप्रियता है।

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