“देश बेचने” की दिशा में पहला कदम, रेलवे के निजीकरण की शुरूआत

sadanand-gauda-700नई दिल्ली। “देश नहीं बिकने दूँगा” के थीमसाँग के साथ अपना चुनाव प्रचार करने वाले नरेंद्र मोदी की सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश की जनता की छह दशक की खून पसीने की गाढ़ी कमाई से बने रेलवे में निजीकरण की शुरूआत करते हुए देश बेचने के अभियान का श्री गणेश कर दिया। इस रेल बजट की जहां विपक्षी दलों ने कटु आलोचना की है वहीं मोदी सरकार का लाड़ला शेयर बाजार काफी नीचे गिर गया। रेल बजट में निजीकरण पर भी जोर रहेगा। सबसे अहम बात रही कि यात्री किराए को तेल की कीमतों से जोड़ने की व्यवस्था को लागू किया जाएगा। रेल बजट के बाद शेयर बाजार आज अपने रिकार्ड स्तर से नीचे आ गया। बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में जहां 518 अंक की गिरावट आई, वहीं नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 164 अंक टूट गया। सेंसेक्स व निफ्टी दोनों में यह 10 माह की सबसे बडी गिरावट है।

कांग्रेस ने इस बजट को आम आदमी का विरोधी करार दिया और कहा कि इसमें कई राज्यों की अनदेखी की गई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि ये बजट निराशाजनक और कामचलाऊ है। इसमें केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की अनदेखी की गई है और इसमे गरीबों का ख्याल नहीं रखा गया है। आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आई0जी0 एस0 आर0 दारापुरी ने कहा है कि मोदी सरकार ने कारपोरेट हितों को पूरा करने के लिए रेलवे के निजीकरण करने का ऐलान किया है। सरकार द्वारा रेलवे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करना रेलवे को विदेशी निवेशकों के हाथ बेचने की कोशिश है।

श्री दारापुरी ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े सार्वजनिक रेलवे नेटवर्क को यह बजट कमजोर करने का काम करेगा। इससे आने वाले समय में महंगी सामग्री और असुरक्षा बढ़ेगी। उन्होंने कहा अच्छे दिनों के लोकलुभावने नारे के बल पर सत्ता में आयी मोदी सरकार ने रेल में सुविधाएं बढ़ाने की लोकप्रिय मांग को पूरा करने की कौन कहे गरीब गुरबों और आम आदमी की सुविधा के लिए रेल में जनरल डिब्बे तक नहीं बढ़ाए। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गयी निजीकरण की जिस नीति पर मोदी सरकार ने अपना बजट पेश किया है वह देश को तरक्की नहीं गुलामी की ओर ले जायेगा।

सोशलिस्ट पार्टी ने कहा है कि रेल मंत्री सदानंद गौड़ा द्वारा प्रस्तुत रेल बजट 2014-2015 को एक जुमले में सीधे गरीब विरोधी कहा जा सकता है। किरायों में 14 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि की मार सबसे ज्यादा उन गरीबों पर पड़ेगी जो देश की जनसंख्या का अधिकांश हैं। रेल बजट में शिक्षा और अर्थव्यवस्था की गलत योजनाओं का शिकार छात्रों और बेरोजबारों के लिए किसी तरह की रियायत का प्रावधान नहीं है। रेल बजट की दूसरी खासियत भी गौरतलब है।  प्राथमिक रूप से अमीरों की यात्रा के लिए ‘हाई स्पीड नेटवर्क‘ विकसित करने के लिए विदेशी निवेश का फैसला रेलवे के कारपोरेटीकरण की दिशा में बेनकाब छलांग है। रक्षा के बाद रेलवे में विदेशी निवेश का फैसला करके मौजूदा सरकार ने रेलवे को भी मुनाफाखोर कारपोरेट घरानों की लूट के लिए खुला कर दिया है। दरअसल, यह एक नवउदारवादी बजट है जिसका लक्ष्य कारपोरेट घरानों और नवउदारवाद से लाभान्वित तबके के सपने पूरा करना है।

पार्टी महासचिव व प्रवक्ता डॉ. प्रेमसिंह ने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी इस गरीब-विरोधी विजन‘ वाले रेल बजट का सख्ती से विरोध करती है। पार्टी का सुचिंतित मत है कि रेल बजट का सबसे पहले और सबसे ज्यादा सरोकार गरीब लोग होने चाहिए, जिनके पास स्लीपर व सामान्य श्रेणी में यात्रा करने के अलावा यात्रा के अन्य विकल्प नहीं हैं। रेलवे को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश की यह अधिसंख्य किंतु साधनहीन आबादी आराम, सम्मान और सुरक्षा के साथ रेलयात्रा कर सके।

श्री सिंह ने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी हमारे उन विचारकों और स्वतंत्रता सेनानियों का नाम घसीटने की भर्त्सना करती है जिन्होंने स्वावलंबी व्यवस्था के जरिए देश की वंचित मेहनतकश आबादी की बेहतरी का मजबूती के साथ पक्ष लिया। रेलमंत्री ने अपने बजट भाषण में गांधी और विवेकानंद का नाम लेकर एक बार फिर शासक वर्ग के उस आदतन पाखंडी चरित्र का परिचय दिया है जिसके तहत वह साधनहीन और उपेक्षितों का नाम लेकर सुविधासंपन्न व ताकतवर तबके का हितसाधन करता है।
http://www.hastakshep.com

1 thought on ““देश बेचने” की दिशा में पहला कदम, रेलवे के निजीकरण की शुरूआत”

  1. विपक्षी दलों के द्वारा इस प्रकार की प्रतिक्रिया देना स्वाभाविक है हर विषय के दो पहलू होते हैं ,पहले भी यही होता रहा है , आज भी हो रहा है आगे भी ऐसा ही होगा कोई नयी बात नहीं शब्दों की जुगाली यूँ ही चलती रहेगी

Comments are closed.

error: Content is protected !!