मुंबई के डॉक्टर बंद कर देंगे किडनी ट्रांसप्लांट

यदि नहीं किया सरकार ने क़ानून में बदलाव.

डॉ. अशोक मित्तल
डॉ. अशोक मित्तल
बार बार डॉक्टरों पर दोष माडना, सरकार के और पुलिस के स्तर पर, आये दिन किसी न किसी डॉक्टर को थाणे बुला कर बैठा देना और जेल में ठूंस देना आज एक आम बात हो गयी है. जनता तो सीधे सीधे मारा पीटी, गाली गलोच, अस्पतालों में तोड़ फोड़ जैसे नीचता के काम करती ही रहती है.
अगर मरीज फर्जी डाक्यूमेंट्स बना कर किडनी ट्रांसप्लांट करा ले और उसमें डॉक्टर्स को जेल जाना पड़े तो यह आज के सभ्य कहे जाने वाले समाज के गाल पर एक करारा तमाचा है. नेताओं और प्रशाशन के लिए भी ये बहुत ही शर्मनाक बात है.
मुंबई के चिकित्सकों ने महाराष्ट्र सरकार से साफ़ साफ़ कह दिया है की डाक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन करना उनका काम नहीं बल्कि पुलिस का काम है. इन अंधे कानूनों में तुरंत बदलाव किया जाये वरना कोई भी किडनी केस का ऑपरेशन नहीं किया जाएगा.
अजमेर और राजस्थान के चिकित्सकों को भी इस वारदात से सबक लेना चाहिए. यहाँ तो पहचान पत्र का सत्यापन सोनोग्राफी जैसी छोटी मोटी जांचों में ही करना पड़ता है. कल को यदि ये पहचान पत्र फर्जी निकल गया तो निश्चित तौर पर जेल की हवा डॉक्टर को या अस्पताल प्रशासन को ही खानी पड़ेगी. अपराधी हमेशा की तरह कानूनी, राजनितिक और पुलिस संरक्षण के चलते आज़ाद घूमते रहेंगे.
डॉ. अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट
मास्टर इन जर्नालिस्म- मास कम्युनिकेशन
13 अगस्त , 2016

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