शीर्ष अधिकारियों ने सेना को लगाया 100 करोड़ का चूना

सेना के छह कमांडरों की ओर से वर्ष 2009 से 2011 के बीच किए गए खर्च में 100 करोड़ रुपये के नुकसान का खुलासा हुआ है। खुद रक्षा मंत्रालय की ओर से कराए गए आंतरिक ऑडिट में यह बात सामने आई है। इसके बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने ऐसे खर्चों पर कड़ी निगरानी रखने के आदेश दिए हैं। हालांकि सेना ने खरीद में 100 करोड़ रुपये के नुकसान की बात का खंडन किया है। उसका कहना है कि खरीद में किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है।

सैन्य कमांडरों को विशेष वित्तीय अधिकार होते हैं कि वे जवानों के लिए तत्काल जरूरत के सामानों की खरीद कर सकते हैं। रक्षा मंत्रालय ने कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (डीसीए) को सैन्य कमांडरों के इन विशेष अधिकारों के तहत किए गए खर्चों की जांच करने का निर्देश दिया था। ऑडिट रिपोर्ट में 2009-11 के बीच विभिन्न सैन्य कमानों की ओर से किए गए 55 ट्रांजेक्शन की जांच की गई।

सेना प्रमुख बिक्रम सिंह उस दौरान कोलकाता स्थित पूर्वी कमान के प्रमुख थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी संचार उपकरणों समेत कई उपकरण ग्रे मार्केट से खरीद लिए गए। उत्तरी कमान में दूध की खरीद में भी कुप्रबंधन की बात रिपोर्ट में कही गई है। इसमें कहा गया है कि पूर्वी कमान ने विदेशी कंपनी से दूरबीन खरीदीं, जबकि भारतीय बाजार में ही यह कम कीमत पर उपलब्ध थीं।

अब ऑडिट रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद रक्षा मंत्री ने सैन्य कमांडरों के विशेष अधिकारों के तहत खर्चों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री अपने सभी विभागों के वित्तीय प्रबंधन तंत्र को मजबूत करना चाहते हैं।

अलग-अलग था बजट
तत्काल जरूरत के सामानों की खरीद के लिए उत्तरी कमान को 125 करोड़ रुपये, पूर्वी कमान को 50 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था। चार अन्य कमानों के लिए 10-10 करोड़ रुपये का बजट था।

ऑडिट रिपोर्ट के आंकड़े
30 करोड़ का नुकसान उत्तरी कमान में विशेष पैकेज्ड दूध की खरीद पर हुआ
94 करोड़ का नुकसान टेट्रा और ताजा दूध की अतिरिक्त मात्रा में खरीद पर दो साल में हुआ

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