यहां टीचर्स को मिलती है गप्पें मारने की तनख्वाह

कृष्णानगर [पश्चिम बंगाल]। शिक्षा का मखौल कैसे उड़ाया जाता है इसकी बानगी पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में सरकारी सहायता प्राप्त दो स्कूलों में देखी जा सकती है। बालिकाओं के इन स्कूलों में विगत तीन वर्षो से बिना छात्राओं के शिक्षक और अन्य स्टाफ प्रत्येक माह तनख्वाह उठा रहे हैं। उमा शशि निम्नतर उच्च बालिका विद्यालय और तारक दास शिक्षा सदन जूनियर हाई स्कूल के 14 शिक्षक बिना किसी छात्रा को पढ़ाए ही वेतन ले रहे हैं। ये सभी स्कूलों में अपना समय अखबारों,पत्रिकाओं को पढ़ने के साथ गपशप में बिताते हैं।

आधारभूत सुविधाओं से युक्त इन विद्यालयों में न ही कोई पढ़ने वाली छात्रा है और न ही कोई मैनेजमेंट कमेटी। सूत्रों के अनुसार इनमें से एक विद्यालय की बिल्डिंग के सुधार के लिए सीपीआइ के पूर्व सांसद खबीरुदीन अहमद ने दो लाख रुपए और कृष्णानगर से कांग्रेस के पूर्व विधायक शिबदास मुखर्जी ने एक लाख रुपए दिए थे।

उमा शशी विद्यालय की प्रधानाध्यापिका दीपिका घोष का इस बारे में कहना है कि छात्राओं के न होने से वे लोग दुखी हैं और वे लोग संबंधित विभाग से अपने तबादले की गुहार लगा रही हैं। कुछ शिक्षकों ने तबादला भी करा लिया है। घोष ने आगे बताया 1969 में स्थापित उनके विद्यालय में इस समय सात शिक्षकों समेत दो अन्य स्टाफ कार्यरत हैं।

error: Content is protected !!