पूर्व सेना प्रमुखों ने कहा, संसद पर वीके सिंह की टिप्पणियां उचित नहीं

पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह के संसद भंग करने और उसका घेराव करने संबंधी आह्वान से यह बहस छिड़ गई है कि क्या 13 लाख सैनिकों की फौज की अगुवाई कर चुके व्यक्ति को लोकतंत्र के सर्वोच्च संस्थानों के बारे में इस तरह की मांग करनी चाहिए।

वीके सिंह ने हाल ही में कथित तौर पर पहले संसद भंग करने और फिर गन्ना किसानों के समर्थन में इसके घेराव के लिए कहा था। उनके इन बयानों पर उनके ही पूर्ववर्तियों और सहयोगियों ने मिलीजुली प्रतिकिया जाहिर की है।

उनके पूर्ववर्ती दीपक कपूर ने कहा, पूर्व सेना प्रमुख का इस तरह की गतिविधियों में लिप्त होना उचित नहीं है। सेवारत लोग उन्हें पूर्व सेना प्रमुख के तौर पर देखते हैं और ऐसी बातें उचित नहीं होतीं। वीके सिंह के पूर्ववर्ती ने कहा, संसद हमारे लोकतंत्र का सर्वोच्च निकाय है। किसी भी मुद्दे पर उसका उपयोग नहीं किया जा सकता तथा किया भी नहीं जाना चाहिए।

दूसरी ओर, जनरल वीके सिंह के राजनीति में आने के कदम का स्वागत करते हुए मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जीडी बक्शी ने कहा कि 70 फीसदी अमेरिकी राष्ट्रपति पूर्व सैन्य अधिकारी हो सकते हैं, तो जनरल सिंह राजनीति में क्यों नहीं जा सकते? उन्होंने कहा, पूर्व सेना प्रमुख के तौर पर उनके राजनीति में आने में गलत कुछ भी नहीं है, क्योंकि राजनीति केवल भ्रष्ट और अपराधियों के लिए ही नहीं है।

एक अन्य पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने कहा कि वीके सिंह जो कर रहे हैं, उसमें कानूनी तौर पर कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन जहां तक उनका सवाल है, उनके लिए औचित्य से जुड़े मुद्दों पर यह उचित नहीं है। जनरल मलिक ने एक टीवी चैनल से कहा, सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहते समय पूरी तरह सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि इसका असर सेवारत लोगों पर पड़ सकता है। पूर्व सेना प्रमुखों को जिम्मेदार व्यक्तियों की तरह देखा जाना चाहिए और ऐसे बयान नहीं देना चाहिए।

जनरल सिंह के बयानों पर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर प्रसाद ने कहा कि जिस भाषा का उपयोग किया गया है, वह निचले स्तर के नेता की है। शुक्रवार को हुई बैठक में जनरल सिंह ने चीनी क्षेत्र को नियंत्रणमुक्त करने पर रंगराजन समिति की रिपोर्ट खारिज करने की किसानों की मांग का समर्थन किया था।

किसानों का निकाय 4 दिसंबर को संसद का घेराव करने की योजना बना रहा है। जब जनरल वीके सिंह से पूछा गया कि क्या वह आंदोलन में भाग लेंगे, तो उन्होंने कहा कि शायद वह भाग ले सकते हैं। उन्होंने कहा, जब हम वहां पहुंचेंगे तो और आगे जाएंगे…हम देखेंगे कि वैसी स्थिति आएगी या नहीं। पूर्व में अन्ना हजारे के साथ संपन्न बैठक में उन्होंने संसद भंग करने की अन्ना की मांग का समर्थन किया था।

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