होगा निमाड़ की बेटी पुर्णिमा चतुर्वेदी का सम्मान

प्रसंगवश :- 32 वाँ भेराजी सम्मान 2019 — उज्जैन ।।।
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मालव- निमाड़ की लोक सुरभि ‘”नन्दा जी ,भेराजी , कानाजी” को कौन नहीं जानता ,,60 ,70, 80 और 90 के दशक में सायंकाल आकाशवाणी के खेती -गृहस्थी कार्यक्रम में जब
गाँव की गड़वाट पर चलती बैल गाड़ी की धुन बजती थी तब सभी श्रोताओं को ऐसा लगता था कि वो इस तम्बू से तनी हुई , पुआल की गादी वाली सवारी गाड़ी में बैठे हैं , बैलों के गले मे सुमधुर घूंघरमाळ पहनाई हुई है , जो छुन छुन छुन की कर्णप्रिय ध्वनि के साथ बज रही है ,, और फिर वह लोकप्रिय सम्बोधन राम राम हो! नंदा जी , (कृष्णकांत जी दुबे) राम राम हो !भेराजी ( दादा सीताराम वर्मा “भेराजी) और राम राम हो कानाजी के साथ कार्यक्रम की शुरुवात होती थी। रेडियो काल की इस त्रिवेणी में कोई अभागा ही होगा जो नहाया नहीं होगा । भेराजी के सुपुत्र श्री कैलाश जी वर्मा भी उच्च कोटी के रंगमंच कलाकार थे , उन्होंने पिताश्री की स्मृति में वर्ष में 1988 से “भेराजी सम्मान ” की कल्पना की , जिसके पीछे लोक- देवताओं और लोक माताओं को प्रणाम करने का था ।, मालवा की लोक -संस्कृति के सर्जकों , कलाकारों को पूजने का यह माध्यम बना। कालांतर में वर्ष 2000 से इसे निमाड़ से भी जोड़ दिया गया । वर्ष 2000 में यह सम्मान सर्वप्रथम पद्मश्री पण्डित रामनारायण उपाध्याय जी को दिया गया , तब से यह सिलसिला अनवरत चल रहा है ,मैं गौरवान्वित हूँ कि वर्ष 2011 का यह सम्मान मुझे अर्थात उपाध्याय परिवार के सबसे छोटे बेटे एवम 2012 में मेरी बड़ी भाभीजी श्रीमती हेमलता उपाध्याय को मिला । आज पुनः हम हर्षोउल्लास से परिपूर्ण हो रहें है कि उपाध्याय परिवार की सबसे छोटी बेटी पूर्णिमा आनन्द चतुर्वेदी ( सनावद ढ़कलगांव-भोपाल)को यह सम्मान आग्रहपूर्वक दिया जा रहा है । लोक -संस्कृति के प्रति समर्पित कैलाश जी क़े असामयिक निधन पश्चात उनके सुपुत्र जयेश भेराजी ने इस अनुष्ठान को प्रतिवर्ष समारोह पूर्वक सम्पन्न करने की जवाबदारी अपने उन कांधों पर ली जिन पर बाप के आशीर्वादों का हाथ रहता था। मै पुनः कहता हूँ “लोक -संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करना अपनी उन जड़ों को पूजना है जिन्होंने हमें रस देकर फल देने योग्य बनाया , यह आराधना है उन कण्ठों की जिन्होंने हमे लोक गीत दिये , यह वन्दना उन है हाथों की जिन्होंने हमें वादन सिखाया ,लेखन सिखाया , सद्कर्मों के लिए सदैव आगे रहे कार सेवा के लिए , यह साधना है उन पाँवो की जिन्होंने हमें सत्य के मार्ग पर चलना सिखाया , कठिन परिस्थितियों में खड़े होना सिखाया औऱ जब मन के रंजन की बात हुई तो थिरकना सिखाया । मालवा लोक – कला एवम संस्कृति संस्थान उज्जैन के तारतम्य में लोक की सुरभि को महकाने वाला यह भावभीना 32 वाँ “भेराजी सम्मान ” 18 अप्रेल 19 को कालिदास परिसर के अभिरंग सभागृह में समारोह पूर्वक सम्पन्न होगा जिसमें मालव माटी के लोक भाषा विद श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव नवनीत जी को एवम निमाड़ की लोक गायक ,भित्ति चित्रकार बहन पूर्णिमा चतुर्वेदी को भेराजी सम्मान से अलंकृत किया जावेगा।

शिशिर उपाध्याय निमाड्या 9926021858

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