वीरप्पन के साथियों की फांसी पर बुधवार तक लगी रोक

sathiनई दिल्ली। वीरप्पन के चार साथियों की फांसी पर बुधवार तक रोक लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फांसी पर रोक लगाने की याचिका पर चल रही सुनवाई के दौरान इस बात की जानकारी दी है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया अल्तमस कबीर की बेंच ने यह फैसला किया है।

याचिका में कहा गया है कि इन चारों की दया याचिका पर फैसला लेने में सरकार को नौ साल से अधिक समय लग गया इसलिए इनकी फांसी की सजा रद्द कर देनी चाहिए।

गौरतलब है कि इन चारों को 22 पुलिसवालों की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी। राष्ट्रपति ने भी इनकी दया याचिका खारिज कर दी है।

इससे पहले इनकी फांसी की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद फांसी की सजा पाए इन चारों दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जानकारी के मुताबिक इन चारों दोषियों के लिए फांसी की तारीख रविवार, 17 फरवरी तय की गई थी।

चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर के कार्यालय के से मिली जानकारी के मुताबिक चीफ जस्टिस के सामने यह मामला रखा गया लेकिन उन्होंने इस पर सुनवाई करने से साफ इन्कार कर दिया था। उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं कि दोषियों को रविवार को फांसी दी जानी है, लिहाजा यह मामला नियमानुसार ही देखा जाएगा।

गौरतलब है कि वर्ष 1993 में कर्नाटक के पलार में बारूदी सुरंग विस्फोट मामले में वीरप्पन के बड़े भाई ज्ञानप्रकाश, सिमोन, मीसेकर मदैया और बिलावेन्द्रन को वर्ष 2004 में मौत की सजा सुनाई गई थी। इस हमले में 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 13 फरवरी को उनकी दया याचिकाएं खारिज कर दी थीं। चारों दोषी कर्नाटक के बेलगाम की एक जेल में बंद हैं। वर्ष 2001 में मैसूर की एक टाडा अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी लेकिन शीर्ष अदालत ने सजा को बढ़ाकर मृत्युदंड कर दिया। गिरोह का सरगना वीरप्पन अक्टूबर 2004 में तमिलनाडु पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।

error: Content is protected !!