लूट का पर्दाफाश, गिरोह का सरगना लेडी डॉन

bihar-police-solve-dominos-pizza-robberपटना। राजधानी पुलिस ने डोमिनोज पिज्जा के आउटलेट में पौने तीन लाख की लूट का 18 घंटे के अंदर खुलासा करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह की सरगना युवती समेत उसका ब्वायफ्रेंड व एक अन्य सदस्य पुलिस के हत्थे चढ़ा है। वारदात को गांधी मैदान थाना क्षेत्र के एक्जीबिशन रोड स्थित आउटलेट में रविवार की आधी रात के बाद अंजाम दिया गया था। अपराधियों ने गार्ड समेत छह कर्मचारियों को मारपीट कर जख्मी कर दिया था। तीनों को जेल भेज दिया गया।

सीनियर एसपी मनु महाराज ने बताया कि लूट की 2.36 लाख की रकम बरामद हो गई है। गिरोह की सरगना युवती है, जो अपने ब्वायफ्रेंड के साथ पहले वहीं काम करती थी। राजधानी में शायद पहली बार एक लड़की के गिरोह ने असलहे के बल पर ऐसे वारदात को अंजाम दिया है। एफएसएल की टीम ने फिंगर प्रिंट व अन्य साक्ष्य एकत्र किए हैं। लूट की रकम बरामद कर ली गई है। नोटों की भी पहचान हो गई है। गिरोह को असलहे मुहैया कराने वालों की तलाश की जा रही है। इस मामले की दस दिनों के अंदर चार्जशीट दायर कर दी जाएगी। गिरोह पकड़ा न जाता, तो आउटलेट की अन्य शाखा को भी निशाना बनाया जा सकता था। टीम को पुरस्कृत किया जाएगा।

राजधानी में पिस्टल वाली युवती ने, मर्द दबंगई का खास हलका भी केवल उसका नहीं रहने दिया। रचनात्मक, शैक्षणिक, प्रशासनिक, अकादमिक आदि क्षेत्रों में महिलाएं पुरुषों की न केवल बराबरी बल्कि उनसे आगे निकलने की शुरुआत तो पहले कर ही चुकी थीं। 14-15 अप्रैल की आधी रात के बाद डोमिनोज पिज्जा में लूट की तफ्तीश कर रही पुलिस उस समय चौंक गई, जब उसके हत्थे पिस्टल वाली लेडी डान चढ़ी। कंधे पर रायफलनुमा असलहा और मारपीट में गजब माहिर। गार्ड का सिर फोड़ दुकान में घुसने के बाद उसने कर्मचारियों को लाचार बना बंधक की तरह एक कतार में खड़ा कर दिया था।

पकड़ी न जाए इसकी पूरी प्लानिंग थी। वारदात के दौरान गिरोह के अपने सदस्यों के मोबाइल लेकर चलने पर उसने रोक लगा दी थी, ताकि पुलिस सर्विलांस उसका बाल-बांका न कर सके। दरअसल लेडी डान अंशू द्वारा बनायी गई लूट की पूरी योजना फुल प्रूफ थी। वह डोमिनोज पिज्जा दुकान में काम कर चुकी थी, इसलिए उसे पता था कि दुकान कितने बजे तक खुली रहती है? वहां कितने लोग हो सकते हैं? कैश बाक्स कहां रखा है? सीसीटीवी कैमरा कहां फिक्स है? सबसे पहले सीसीटीवी कैमरे को तोड़ दिया गया। अंशू और गिरोह के दूसरे लोग नकाब और जरूरत पड़ने पर भाग निकलने की सुविधा वाले कपड़ों में थे।

वारदात को अंजाम देने के दौरान लूट गिरोह ने आपस में कोई बातचीत नहीं की और केवल एक दूसरे को इशारे से अपनी बात बताते रहे। गिरोह को यह भी पहले से पता था कि पुलिस की गश्ती जीप इस इलाके में कब- कब घूम जाती है। इसलिए यह संयोग नहीं था कि गश्ती पुलिस के इस इलाके से निकल जाने के ठीक 15 मिनट बाद लूट की वारदात को अंजाम दिया गया था। गश्ती पुलिस बस थोड़ी देर पहले ही दुकान के गार्ड से खैरियत पूछ कर वहां से गुजरी थी। शायद एक फिल्म सबसे बड़ा खिलाड़ी की माफिया डान के किरदार से प्रभावित अंशू ने खुद को सचमुच सबसे बड़ा खिलाड़ी साबित करना चाहा। मध्यवर्गीय परिवार की ग्रेजुएट इस लड़की ने तुरंत पैसा कमाने की तम्मन्ना से जरायम की दुनिया में यह पहला कदम रखा था। गिरोह की सरगना सुंदरी को पुलिस का कोई डर नही, इसकी बानगी तब दिखी, जब एसएसपी कार्यालय में मीडिया ने सवाल दागने शुरू किए। बेधड़क जवाब देने वाली गिरोह की सरगना का कहना था कि इतनी आसानी से वारदात को अंजाम दे लेगी, यह उसे भी नहीं मालूम था। लूटी गई रकम को कहां और कैसे खर्च करना है, उसने अभी सोचा नहीं था। कपड़े की धारीदार जूती (गजनी वाली स्टाइल), जींस व सफेद टाप पर पीला दुपट्टा डाले सरगना अंशू की बातों से पुलिस का कोई डर नहीं दिख रहा था। अंशू का कहना है कि उसने पैसों के लिए वारदात को अंजाम दिया। वारदात के बाद असलहों को फेंक दिया। पुलिस कप्तान मनु महाराज भी मानते हैं कि गिरोह काफी शातिर है। सीसीटीवी कैमरा तोड़ना इसकी बानगी है, कोई भी सुराग नहीं छोड़ा था। पुलिस के लिए गिरोह को पकड़ना चुनौती थी।

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