जयाप्रदा लालबत्ती मामले में आजम खां को नोटिस

azam khan with jaya pardaइलाहाबाद। सांसद व फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा की गाड़ी से लाल बत्ती हटाकर उसका चालान करना प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां व सरकार के कई अधिकारियों पर भारी पड़ा है। दूसरी ओर सांसद के अधिवक्ता कुंवर सिद्धार्थ सिंह पर कानपुर में गत 20 मई को हुए कातिलाना हमले ने मामले को और गंभीर बना दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की परिस्थितियों को देखते हुए जयाप्रदा के खिलाफ गत 13 अप्रैल की नोटिस के तहत की कार्यवाही पर रोक लगा दी है तथा नगर विकास मंत्री आजम खां, एआरटीओ रामपुर कौशलेंद्र यादव व थाना प्रभारी सिविल लाइंस रामपुर आले हसन को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण के साथ व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से भी एक माह में जवाब मांगा है।

याचिका की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी तथा न्यायमूर्ति भारत भूषण की खंडपीठ ने सांसद जयाप्रदा की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उनकी गाड़ी का मनमाने एवं अवैध तरीके से लाल बत्ती उतारकर चालान कर दिया गया और 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। याची का कहना है कि सारी कार्यवाही प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां के इशारे पर की गई है। इस कार्यवाही की वैधता को याचिका में चुनौती दी गई है। दूसरी तरफ याची के अधिवक्ता सिद्धार्थ सिंह ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि जब वे अन्य सांसद के मुकदमें की बहस के लिए 20 मई को कानपुर गए थे। कल्याणपुर थाना क्षेत्र के शुक्ला ढाबा पर सुबह साढ़े नौ बजे नाश्ता के लिए रुके तो उसी समय तीन आदमी मोटर साइकिल से आए और वकील की कार में टक्कर मारकर रोकने की कोशिश की। जब कार सड़क पार कर रही थी तो एक ट्रक ने पीछे से टक्कर मार दी। जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। और कानपुर के एक अस्पताल में भर्ती हैं। उसकी बांई पसली टूट गई है। फोन काल आने के बाद इलाज कर रहे डॉक्टर के अस्पताल से एम्बुलेंस हटा ली गई। इसकी सूचना एसएसपी को दी गई किंतु प्राथमिकी दर्ज करने कोई नहीं आया।

मुख्य सचिव 30 मई को तलब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को राजकीय आयुर्वेद कालेज एवं हास्पिटल अतर्रा बांदा के मूल दस्तावेजों के साथ 30 मई को तलब किया है। कोर्ट ने कालेज को बीएएमएस 2011-12 सत्र में 40 सीटों पर छात्रों के प्रवेश के लिए मानक का पालन न करने को गंभीरता से लिया है और कहा है कि अध्यापकों, स्टाफ सहित कालेज की अन्य मूलभूत सुविधाएं दिए बगैर छात्रों का प्रवेश लेकर राज्य सरकार चिकित्सा शिक्षा को बर्बाद करने पर तुली है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने व रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।1 कोर्ट ने मुख्य सचिव को चेतावनी है कि यदि कार्यवाही नहीं की गई तो कोर्ट भारत सरकार से कहेगी कि उप्र सरकार को तबतक नए मेडिकल कालेज खोलने की अनुमति न दे जबतक कि वह अध्यापकों व स्टाफ की नियुक्ति न कर ले। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने विजया लक्ष्मी व 29 अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि भारत सरकार की शर्ते नहीं मानी गईं और राज्य सरकार ने अगले सत्र के लिए छात्रों को प्रवेश के लिए भेज दिया। कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा है कि ऐसी गलती दोहराई न जाए।

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