गाजियाबाद हत्याकांड: एक आदमी, सात कत्ल और सुलगते सवाल

murderलखनऊ। पुलिस, एसटीएफ और उनके तमाम विशेषज्ञों ने मिलकर गाजियाबाद के कोतवाली क्षेत्र में एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या का राजफाश तो कर दिया, लेकिन जो कहानी सामने आयी है, उस पर कई सवाल खड़े हो गये हैं। बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में 22 साल के एक आदमी ने घर के सात लोगों को मार डाला। हो सकता है कि घटना उसी ने की हो लेकिन जो सवाल उठे हैं, उनका जवाब किसी के पास नहीं है।

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गुरुवार को यहां अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था अरुण कुमार से जब पत्रकारों ने पुलिस के इस दावे पर सवाल उठाया तो उनका कहना था कि यह तो उसने प्रारंभिक पूछताछ में बताया है। इसकी छानबीन होगी। इसके लिए उसे रिमांड पर लिया जायेगा। फिर सवालों के जवाब तलाशे जायेंगे। पुलिस के मुताबिक गाजियाबाद के अनाज मण्डी इलाके में 62 वर्षीय सतीश गोयल, उनकी पत्नी मंजू गोयल, पुलिस सचिन गोयल, पुत्रवधू रेखा गोयल, पौत्र अमन और पौत्री मेघा और नेहा की हत्या कुछ दिन पहले उनके घर से निकाले गये नौकर राहुल ने की है।

घटना से 12 दिन पूर्व गोयल परिवार का चार लाख रुपये चोरी चला गया था। इस पर शक के आधार पर डांट-डपट कर राहुल को गोयल ने नौकरी से निकाल दिया था। गौरतलब यह कि राहुल के खिलाफ गोयल परिवार ने न तो थाने में रिपोर्ट लिखाई और न मारा-पीटा। फिर उसे इस परिवार के प्रति इतनी नफरत कैसे हो गयी कि उसने परिवार के सभी लोगों का कत्ल कर दिया। राहुल के कत्ल के तौर तरीके भी ऐसे हैं जो सवालों के घेरे में हैं। मसलन वह 21 मई रात्रि साढ़े सात बजे गोयल के मकान के पिछले हिस्से में स्थित गोदाम से छत पर चढ़ा। फिर उसने वहां मौजूद बच्चों के हटने का इंतजार करता रहा। इस दौरान उसने खूब सिगरेट फूंकी। बच्चे नीचे चले गये तो दूसरी मंजिल के कमरे में पहुंचकर उसने सचिन की पत्नी रेखा और 13 वर्षीय बेटी मेघा की हत्या कर दी। सवाल यह कि जब बच्चों की हत्या करनी थी और रात के अंधेरे में बच्चे छत पर मौजूद थे वह उनके नीचे उतरने का इंतजार क्यों कर रहा था? पुलिस के मुताबिक जब उसने रेखा और मेघा की चाकू से हत्या की तभी सचिन आ गये और उसी तल पर उसने चाकू मार दिया। सचिन भागकर नीचे गये, जहां उसने तवे से प्रहार कर उनकी हत्या कर दी। फिर प्रथम तल के जीने के पास अमन और नेहा की हत्या की। फिर जीने के पास रैलिंग के बगल में सतीश चंद्र गोयल और इसके बाद उनकी पत्नी मंजू की हत्या कर दी।

बुधवार को यह बात सामने आयी थी कि गोयल के घर में शोर सुनकर पड़ोसी ने रात दस बजे फोन किया तो गोयल ने कहा कि यह घरेलू मामला है। लेकिन गुरुवार को पुलिस ने इसमें थोड़ा बदलाव कर दिया। कहा कि गोयल का फोन राहुल ने ही रिसीव किया था। फिर रात दस बजे तक राहुल क्या उनके घर में ही था। राहुल के पास से पुलिस को घर के बहुत से सामान बरामद हुए हैं। फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर भी पुलिस का दावा है कि घटनाएं उसी ने की है। पर सवाल उठना स्वाभाविक है कि चाकू और तवे से सात लोगों को उसने मारा और कोई प्रतिरोध नहीं हुआ। दूसरे यह भी कि जब इतना शोर शराबा पड़ोसी ने सुना तो वह शोर किसका था। राहुल से कौन जूझ रहा था। सामूहिक शोर की आवाज किसकी थी। हो सकता है कि घटना राहुल ने की हो लेकिन अंदेशा यही है कि उसके साथ कुछ और लोग थे। बुधवार को घर में दो जूतों के निशान मिलने की बात आयी थी लेकिन गुरुवार को यह तर्क दिया गया कि हो सकता है कि वह गोयल परिवार के ही किसी सदस्य का हो।

हत्याकांड में उठ रहे हैं ये सवाल

आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद। पुलिस ने बिल्डर परिवार के सात लोगों की निर्मम हत्या के 24 घंटे के अंदर पूरे मामले के खुलासे का दावा करते हुए आरोपी राहुल को गिरफ्तार कर भले ही अपनी पीठ थपथपा ली हो, लेकिन कई तथ्य ऐसे हैं जो लोगों के गले नहीं उतर पा रहे। सबसे बड़ी बात यह है कि सामान्य कद काठी का 21 वर्षीय युवक, जिसका कोई आपराधिक इतिहास तक नहीं और जिसके पैर में गंभीर चोट हो, वह एक चाकू से सात लोगों की हत्या कैसे कर सकता है? खासकर तब जबकि उनमें से एक (बिल्डर का पुत्र सचिन) मजबूत कद-काठी का था और घर में छह और लोग मौजूद थे। पुलिस की थ्योरी से इस नृशंस हत्या का मकसद भी साफ नहीं हो पा रहा है। पुलिस कभी लूट तो कभी अपमान की रंजिश को कारण बता रही है। दोनों ही हालत में कोई व्यक्ति इतना अधिक हिंसक कैसे हो सकता है? इसके साथ ही यह भी अहम है कि हत्यारे ने लूट के लिए शाम का समय ही क्यों चुना, जब घर सहित आसपास के लोग पूरी तरह से सजग और सक्रिय रहते हैं। उसे उस घर में काम करने के दौरान यह भी पता होगा कि परिवारी जनों की संख्या अधिक है और एक आदमी के नियंत्रण में एक साथ सभी नहीं आ सकते हैं। यदि मान लें कि वह अपमान की रंजिश के कारण हत्या का मन बनाकर अकेला आया था, तो इतने लोगों की हत्या के लिए तमंचा या पिस्टल अवश्य लाता लेकिन वह चाकू लेकर घर में घुसा चला आया और जो सामने आया उसे मारता चला गया। न उसका किसी ने विरोध किया और न किसी ने इतना शोर मचाया कि पड़ोस के लोगों को अनहोनी की आशंका होती। न ही किसी ने जान बचाने का प्रयास किया। बस, जैसा हत्यारे ने चाहा वैसा ही होता चला गया।

आइजी भावेश कुमार का भी कहना है कि मामले की जांच रुकी नहीं है। जांच आगे भी जारी रहेगी।

सुलगते सवाल

पुलिस के मुताबिक, राहुल शाम साढ़े सात बजे पांच छतों को कूदते हुए बिल्डर के घर तक पहुंचा। इन दिनों साढ़े सात बजे अंधेरा नहीं होता। फिर उस घनी आबादी वाले इलाके में उसे किसी ने क्यों नहीं देखा?

यदि उसने घर में अकेले प्रवेश किया था तो सचिन को दुकान से फोन कर किसने और क्यों बुलाया था?

यदि परिवार के सदस्यों ने आरोपी को देख लिया तो शोर क्यों नहीं मचाया?

सीढि़यों पर बिखरे खून पर छोटे बच्चे के पैर के आते-जाते निशान किसके थे। जबकि आरोपी के मुताबिक कोई बच्चा भागा नहीं?

पुलिस के मुताबिक, हत्यारा आधे से पौन घंटे घटनास्थल पर रहा, लेकिन जिस तरह से कमरों की आलमारियां खंगाली गई हैं और सात लोगों की हत्या की गई है, वह इतनी अवधि में कैसे संभव हुई?

पुलिस के मुताबिक आरोपी जब वह छत पर पहुंचा, तो बच्चे छत पर खेल रहे थे। वह उनके जाने का इंतजार कर रहा था। यदि वह लूट व हत्या के इरादे से आया तो इंतजार क्यों किया?

आरोपी ने बताया कि उसने सिहानी गेट बाजार से चाकू खरीदा था, लेकिन वहां चाकू की कोई दुकान ही नहीं है।

पुलिस के अनुसार आरोपी ने बताया कि वारदात के बाद वह ऑटो से इंदिरापुरम में एक रिश्तेदार के यहां चला गया। इतनी दूरी तक वह खून से सने कपड़े पहनकर गया, लेकिन किसी की नजर नहीं पड़ी?

टूटे पैर के साथ वह अंबेडकर रोड स्थित अस्पताल में इंदिरापुरम से प्लास्टर कराने के लिए आया। क्या उसे इंदिरापुरम में अस्पताल या चिकित्सक नहीं मिला?

हत्यारा साढ़े सात बजे घर में दाखिल हुआ और आधे घंटे में वारदात को अंजाम देकर मुख्य द्वार से फरार हो गया। ऐसे में सामने दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में उसकी फुटेज क्यों नहीं आई, जबकि रात्रि में 8.22 तक कैमरा चालू था?

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