शव यात्रा देखने को शुभ क्यों माना जाता है?

हमारे यहां लोग शगुन को बहुत महत्व देते हैं। यदि आप घर से कहीं जा रहे हैं तो सामने पानी से भरा घड़ा सिर पर रख कर लाती महिला, झाड़ू लगाती हरिजन महिला, गाय आदि आने पर शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा होने पर आप जिस काम से जा रहे हैं, उसके पूर्ण होने की संभावना बढ़ जाती है। कई लोग तो शुभ कार्य के लिए घर से बाहर जाते वक्त बाकायदा घड़ा या कलश सिर पर लिए हुए घर की ही किसी महिला को खड़ा कर देते हैं। इसी प्रकार जाते समय मार्ग में सामने से किसी की शव यात्रा आती दिखाई दे तो भी यह पक्के तौर पर माना जाता है कि हम जिस कार्य के लिए निकले हैं, वह जरूर पूर्ण होगा। रुके हुए काम पूरे होंगे। यह एक ऐसी मान्यता है, जो कि आम तौर पर चलन में भी है। लोग शव यात्रा देखने पर हाथ जोड़ कर खड़े हो जाते हैं। यदि किसी वाहन में हैं तो उससे उतर कर खड़े हो कर हाथ जोड़ते हैं और शव यात्रा के निकल जाने तक रुकते हैं। कदाचित श्रद्धा के भाव से। कई लोग शिव-शिव का उच्चारण करते हैं। इसके साथ ही मृतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी करते हैं। ज्ञातव्य है कि शिव का मतलब होता है मुक्ति, इसलिए शव को देखकर शिव का नाम लेना अच्छा माना जाता है।
यह तो हुई मान्यता की बात, मगर शव यात्रा सामने से आने पर उसे शुभ क्यों माना जाता है, इस बारे में शास्त्रों बहुत पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। यानि कि यह तथ्य अनुभव के आधार पर स्थापित किया गया है। कुछ जानकार लोग मानते हैं कि शिव शिव का उच्चारण करने और मृत आत्मा की शांति की प्रार्थना करने से वह प्रसन्न होती है और अपने साथ उस प्रणाम करने वाले व्यक्ति के सभी कष्टों, दुखों और अशुभ लक्षणों को अपने साथ ले जाती है।
प्रसंगवश शव यात्रा से जुड़ी यह मान्यता भी ख्याल में आती है कि जब किसी बुजुर्ग का निधन होने पर उसकी शव यात्रा के दौरान उस पर सिक्के उछाले जाते हैं। उन सिक्कों को लोग लूटते हैं या जमीन पर गिर जाने पर उठाते हैं। मान्यता है कि ऐसे सिक्कों को तिजोरी में रखने पर वह सदा भरी रहती है। इसका भी कोई तार्किक आधार मौजूद नहीं है। यह मात्र आस्था है, जो कदाचित अनुभव के आधार पर कायम हुई है।

-तेजवानी गिरधर
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