एक मां ने बेटे को कोख में तो पाल लिया, मगर जब वह दुनिया में आया तो उसे पलभर भी नहीं दुलार तक नहीं किया। यह मां इस फूल से बेटे को मरने के लिए कांटों में छोड़ गई लेकिन जब तक इस मासूम की सांसों की डोर टूटती इससे पहले ही दो युवकों की नजर उस पर पड़ गई और वे बच्चे को अस्पताल ले गए।
फिलहाल यह नवजात झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल में मौत से जूझ रहा है। बबाई चौकी प्रभारी सूरतसिंह धनकड़ ने बताया कि खेतड़ी तहसील के गांव गाडराटा की ढाणी स्वामियों के वाली के बनवारी लाल के खेत के पास से गुरुवार दोपहर करीब पौने एक बजे गांव के हेमन्त व अमित गुजर रहे थे। उन्हें खेत में किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनी।
युवकों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने घास के बीच कांटों में पड़े नवजात को 108 एम्बुलेंस से राजकीय अजीत अस्पताल पहुंचाया। यहां पर डॉ. विष्णु मीणा व उनकी टीम ने बच्चे को प्राथमिक उपचार देकर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल में भेज दिया। बीडीके के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बीडी बाजिया ने बताया कि यह नवजात आठ माह का प्री मैच्योर नवजात है।
इसका जन्म गुरुवार को ही हुआ है। नवजात को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। इसे आईसीयू के रेडियंट हीट वार्मर नामक मशीन पर रखा गया है। बेटे को कांटों में डालने वाली इस मां का दिल भले ही नहीं पसीजा हो, मगर नवजात का कांटों से छलनी शरीर देख चिकित्साकर्मी उसकी मां को कोसते नहीं थकते। शरीर पर जगह-जगह कांटे चुभने से बच्चे की चमड़ी भी कई जगहों से फट गई है। देर रात तक बच्चे के माता-पिता का पता नहीं चला।