अप्रत्यक्ष हिंसा न रूकने के कारण ही हिंसा बढ़ती है: डॉ. आचार्य

गंगाशहर 17 अपै्रल। व्यक्तिगत हिंसा तभी रूक सकती है जब वातावरण पूर्ण रूप से अहिंसामय हो। यह बात साहित्कार, चिंतक एवं कवि डॉ. नन्दकिशोर आचार्य ने भगवान महावीर के 2618 वें जन्मकल्याण दिवस के मुख्य समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से अहिंसक बनने से व्यक्ति तो सुधर जाएगा परन्तु नया जन्म लेने वाला जीव तो उसी हिंसक वातावरण में पैदा हो रहा है तो वह कैसे अहिंसक रहेगा। अतः आवश्यकता है कि वातावरण अहिंसामय रहे तभी अहिंसक समाज का निर्माण होगा। डॉ. आचार्य ने कहा कि भगवान महावीर के सिद्धान्तों में मूल सिद्धान्त समता का है। हिंसा है तो समता का खण्डन होता है। किसी के यहां चोरी कर नुकसान पहंुचाना व्यक्तिगत हिंसा है। जितने लोग प्रत्यक्ष हिंसा से मरे है उससे अधिक अप्रत्यक्ष हिंसा से मरे हैं। ध्यान इस पर भी दिया जाना चाहिए कि अप्रत्यक्ष हिंसा कितनी है। अप्रत्यक्ष हिंसा न रूकने के कारण ही हिंसा बढ़ती है। उन्होंने कहा कि सामान्यतः हिंसा बाह्य उत्तेजना से होती है।
साध्वीश्रीजी परमयशाजी ने कहा कि भगवान महावीर के उपदेशों को अपनाने से ही समाज में नयी क्रान्ति आ सकती है।
पूर्व में विषय प्रवर्तन करते हुए जैन महासभा के पूर्व महामंत्री जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा भगवान महावीर के अहिंसा, अनेकान्त व अपरिग्रह के सिद्धान्त को हम स्वीकार कर लेवें तो विश्व की समस्त समस्याओं का समाधान हो सकता है।
मुनिश्री कुशलकुमारजी, साध्वीश्री सहजप्रभाजी, साध्वीश्री नयश्रीजी ने भी उद्धबोधन दिए।
पूर्व अध्यक्ष इन्द्रमल सुराणा ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया।
सुरेन्द्र बाद्धाणी ने कहा कि जैन महासभा में जो-जो कार्य करते हैं उन सब के बारे में समाज को जानकारी होनी चाहिए।
जैन महासभा के महामंत्री जतनलाल दूगड़ ने जैन महासभा द्वारा आरम्भ किए 21 व्यंजन सीमा अभियान के बारे में जानकारी देते हुए समाज से अनुरोध किया कि विवाह, शादी, गृह प्रवेश आदि सामाजिक आयोजनों पर 21 व्यजंन से अधिक न बनावें न खायें। उन्होंने सभी का आभार ज्ञापित किया।
बीकानेर तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल द्वारा भगवान महावीर के 27 भव की शानदान प्रस्तुति दी। संगोष्ठी में साध्वीश्री संयमश्रीजी की सहवर्ती साध्वीश्री गौरवप्रभाजी, साध्वीश्री गुप्तिप्रभाजी ने कहा कि आज महावीर के उपदेश के अनुसार कोई अहिंसक नहीं है। महावीर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनकी करूणा को अपनाने की बात कही। मुख्य समारोह से पहले बीकानेर व गंगााशहर से शोभाायात्राएं निकााली गईं।
– मोहन थानवी

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