जयपुर । राही सहयोग संस्थान तथा राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति, जयपुर द्वारा सुप्रसिद्ध लेखिका और अनुवादिका एस भाग्यम शर्मा द्वारा मूल रूप में तमिल लेखिका वासंती लिखित उपन्यास ‘जननम‘ एवं जी मीनाक्षी द्वारा रचित बाल कहानी संग्रह ‘मल्लिका का घर’ का हिंदी अनुवाद के लोकार्पण कार्यक्रम राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति के हॉल आयोजित हुआ।
कार्यक्रम के आरम्भ में मशहूर शायर राजेंद्र गुप्ता राजन ने विशिष्ठ अतिथियों का स्वागत करते हुए उनके संक्षिप्त परिचय से अवगत कराया। पुस्तकों के लोकार्पण उपरांत एस भाग्यम ने तमिल भाषा और संस्कृति का परिचय कराते हुए बताया कि यह अनुवाद उत्तर भारत और दक्षिण भारत विशेष रूप से तमिल संस्कृति का सेतुबँध है। बाल कहानी संग्रह ‘ मल्लिका का घर’ के भाव पक्ष पर चर्चा करते हुए बाल साहित्यकर साकार श्रीवास्तव ने कहा कि पुस्तक की सभी कहानियाँ भावप्रणव और सरल भाषा में संदेश देने वाली हैं। बाल साहित्यकार अलका अग्रवाल ने पुस्तक के कला पक्ष पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अनुवादक एक झरोखे का काम करता है जहाँ कथा अपना मूल स्वरूप नहीं खोती। कविता माथुर ने ‘मालूम करें’ कहानी का ‘कहानी कहन’ अन्दाज़ में पाठ किया जिसकी सभी ने भूरि – भूरि प्रशंसा की। कविता मुखर ने उपन्यास ‘जननम’ पर सम्पादकीय अनुभव साझा किए वहीं व साहित्यकार डॉ. दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि अनुवाद के लिए कहानियों का चयन क़ाबिले तारीफ़ है। मुख्य अतिथि नेहरू बाल साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव राजेंद्र मोहन शर्मा ने कहा कि दोनों पुस्तकों में अनुवाद के समय मूल भाषा के तत्वों को बनाए रखना अच्छा लगा। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार नंद भारद्वाज ने संक्षिप्त विवेचना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आलोचक, समीक्षक व साहित्यकार हेतु भारद्वाज ने कहा कि अनुवाद संस्कृति का होता है कृति का नहीं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संगीता सक्सेना और संयोजन कविता मुखर ने किया। कार्यक्रम में व.साहित्यकार गोविंद माथुर, प्रभात गोस्वामी, फ़ारूक़ अफ़रीदी रमेश स्वामी, अरुण ठाकर, शशि पाठक तथा गण्यमान साहित्यकारों व साहित्य प्रेमियों ने इस गरिमामय कार्यक्रम में भाग लिया।