-अभिषेक जैन- जयपुर, कभी पिछड़ा प्रदेश माना जाने वाला राजस्थान आज शासन एवं प्रशासन में सूचना तकनीक के उपयोग की दृष्टि से देश का अग्रणी राज्य बन चुका है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की दृढ़ मान्यता है कि बिना ई-गवर्नेंस के संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेहिता पर आधारित शासन दिया जाना संभव नहीं है। अपने इसी ध्येय वाक्य पर अमल करते हुए उन्होंने सभी सरकारी विभागों एवं उनके कामकाज में कम्प्यूटरीकरण को बढ़ावा देने के कई अहम फैसले किए। श्री गहलोत के इन्हीं नवाचारों का परिणाम है कि आज राजस्थान एक ऐसा राज्य बन गया है जो न केवल शासन एवं प्रशासन में सूचना प्रौद्योगिकी को सफलतापूर्वक अपना रहा है, अपितु इस दिशा में देश के अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन चुका है।
प्रदेश के दूरस्थ गांवों में बैठे ग्रामीण आज एक क्लिक पर राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं, कार्यक्रमों की जानकारी के साथ ही पानी, बिजली के बिल जमा कराने से लेकर इंटरनेट से रेल-बस के आरक्षण सहित विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। शासन एवं प्रशासन में आई.टी. के बढ़ते उपयोग से आम आदमी में सरकारी कामकाज के प्रति विश्वास का भाव जाग्रत हुआ है। आज प्रदेश के गांव-ढ़ाणी में बैठा आमजन भी महसूस करता है कि सरकारी कामकाज के लिए उसे दफ्तरों के चक्कर लगाकर समय एवं पैसा लगाने की जरूरत नहीं है। अब हर कार्य के लिए सरकार उसके नजदीक है। आज प्रदेश के कोने-कोने में कम्प्यूटर पर बैठा कोई भी व्यक्ति सीधे मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाकर उसका समाधान प्राप्त कर सकता है। इसी के साथ आमजन तक लोकसेवाओं की प्रदायगी भी पहले की अपेक्षा अधिक त्वरित, पारदर्शी एवं आसान हो गई है।
ई-गवर्नेंस के लिए राज्य में अनेक दूरगामी कदम उठाए गए हैं। राज्य के सभी विभागों के लिए उनके आयोजना मद का तीन प्रतिशत हिस्सा आई.टी. तथा ई-शासन पर खर्च करना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा निर्णय लेने वाला राजस्थान देश का अकेला प्रदेश है। इस फैसले से प्रदेश के सभी विभागों में ई-गवर्नेंस की पहल के क्रियान्वयन तथा कम्प्यूटरीकरण में उल्लेखनीय तेजी आई है।
शासन में पारदर्शिता, जवाबदेही एवं संवेदनशीलता लाने के लिए जन साधारण की विभिन्न सेवाओं एवं शिकायतों के सुगम निस्तारण की सुविधा ई-सुगम प्रणाली के जरिए उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके साथ ही अन्य सरकारी सेवाओं एवं सूचनाओं की जानकारी के लिए प्रदेश भर में 5000 से अधिक ई-मित्र-नागरिक सेवा केन्द्र कार्यरत हैं, जिनके जरिए हर माह 20 लाख से अधिक लोग सरकारी विभागों से सम्बन्धित 20 से अधिक सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं।
राज्य सरकार ने डिजीटल हस्ताक्षरित प्रमाण पत्रों को विधिक मान्यता देते हुए डिजीटल हस्ताक्षरित मूल निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र एवं आय प्रमाण पत्र कियोस्क से ऑनलाईन जारी
करना प्रारम्भ कर दिया है। नागरिकों में यह सुविधा इतनी लोकप्रिय हुई है कि प्रति माह करीब डेढ़ लाख डिजीटल हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे हैं।
किसानों की सुविधा के लिए भी जमाबंदी को पूरी तरह ऑनलाईन करने का निर्णय लेकर प्रथम चरण में 34 तहसीलों में डिजीटल जमाबंदी को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके तहत प्रत्येक नागरिक सेवा केन्द्र अथवा ई-मित्र कियोस्क पर जमाबंदी की कॉपी मिल सकती है। जल्द ही पूरे राज्य में ऑनलाईन जमाबंदी उपलब्ध करवाई जायेंगी। इससे कोई भी व्यक्ति कहीं से भी स्वयं की जमीन से सम्बन्धित जमाबंदी की प्रति ले सकेगा।
राज्य के सरकारी कार्यालयों में ई-गवर्नेंस के बढ़ते उपयोग से पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिला है। राज्य सरकार ने दिन-प्रतिदिन के सरकारी काम-काजों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सभी विभागों में अक्टूबर, 2011 से ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली लागू कर दी है। इस प्रणाली के जरिए अब तक 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक के टेण्डर प्रकाशित कर दिये गये हैं।
प्रदेश के कोने-कोने तक सूचना प्रौद्योगिकी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सूचना क्रांति के संवाहक के रूप में 1100 करोड़ रुपये की लागत से सभी 248 पंचायत समितियों और 9177 ग्राम पंचायतों में भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र स्थापित किये जा रहे हैं। इनके निर्माण में राजस्थान देश के सभी राज्यों में अव्वल है। राजीव गांधी सेवा केन्द्रों के जरिए ग्राम पंचायत स्तर पर मनरेगा, बैंकिंग सुविधाओं के लिए मिनी बैंक और पोस्ट ऑफिस नागरिक सेवा केन्द्र पर पानी-बिजली के बिल जमा कराने, रेल-बस के आरक्षण, प्रमुख सूचनाओं एवं आवेदन पत्रों के वितरण तथा राजस्व सम्बन्धी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। इसी के साथ नाबार्ड के सहयोग से प्रथम चरण में 295 करोड़ रुपये की लागत से 3000 ग्राम पंचायतों एवं सभी 249 पंचायत समितियों में किसान सेवा केन्द्र सह नॉलेज सेन्टर का कार्य प्रगति पर है। द्वितीय चरण में 210 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश के 2000 अतिरिक्त ग्राम मुख्यालयों पर ये केन्द्र स्थापित किये जाने की योजना है।
राज्य के सबसे बड़े सवाई मानसिंह चिकित्सालय, जयपुर की सभी गतिविधियों का कम्प्यूटराइजेशन कर दिया गया है। इससे वहां दिन-प्रतिदिन रोगियों और उनके परिचारकों की कतारें कम हो गई हैं। इस प्रयोग को अब राज्य के सभी आयुर्विज्ञान महाविद्यालयों तथा उनसे सम्बद्घ चिकित्सालयों के साथ ही जिला चिकित्सालयों में भी लागू किया जा रहा है। राजस्थान रोडवेज की ऑनलाईन बुकिंग सेवा यात्रियों में बहुत लोकप्रिय हुई है। इसके अलावा पुलिस विभाग में वृहद स्तर पर कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है इससे पुलिस विभाग के कार्यों में अधिक पारदर्शिता एवं कार्यकुशलता आयेगी। राजस्थान लोकसेवा आयोग से जारी सभी रिक्तियों के लिए ऑनलाईन आवेदन प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया गया है। इसी प्रकार वाणिज्य कर विभाग, आबकारी, खान एवं भूगर्भ विभाग तथा परिवहन विभाग आदि में लगभग पूरी तरह कम्प्यूटरीकरण कर दिया गया है।
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में शासन एवं प्रशासन में सूचना तकनीक के बढ़ते उपयोग से सुशासन लाने के मुख्यमंत्री के प्रयास धीरे-धीरे सफल हो रहे हैं। आज लोगों में सरकार के प्रति विश्वास जागृत होने के साथ ही यह भाव भी उत्पन्न हुआ है कि उनके हर काम के लिए सरकार उनके नजदीक ही है।
1 thought on “ई-गवर्नेंस से गुड गवर्नेंस की ओर बढ़ते राज्य के कदम”
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मैं पिछले कई सालों से आदरणीय मुख्य-मन्त्री महोदय से निवेदन कर रहा हूँ कि राजस्थान राज्य में बिजली और पानी के बिलों के ऑनलाइन भुगतान की सुविधा चालु करा दीजिये. अभी हाल ही में अजमेरनामा में दिनांक 17 मार्च 2013 को छपे मेरे लेख ‘सुशासन के लिए प्रक्रिया पर ध्यान देना जरुरी’ (देखें – http://ajmernama.com/guest-writer/63344/) में भी मैंने पानी के बिलों की ऑनलाइन सुविधा प्रारंभ किए जाने की बात लिखी, ताकि उपभोक्ताओं को लम्बी लाइनों में खड़े होने से निजात मिल सके.
अभिषेक जैन ने इस लेख में लिखा है कि इंटरनेट से पानी-बिजली के बिल जमा कराने का लाभ जनता उठा रही है, जो कि सम्भवत: ग़लत सूचना प्रतीत होती है. कृपया जानकारी दें – पानी-बिजली के बिल इंटरनेट से ऑनलाइन जमा कराने कब से चालू हुए और वह् कौन सी वेबसाइट है जिसके द्वारा पानी-बिजली के बिल इंटरनेट से ऑनलाइन जमा कराये जां सकते हैं?
धन्यवाद,
केशव राम सिंघल