कबीर की रक्ताभ आंखों में आंसू; ढाई आखर की दास्तान
बीकानेर 11/11/16 ( मोहन थानवी ) । कबीर की एक आंख धार्मिक पाखंड, सामाजिक रूढिय़ों और साम्प्रदायिक भेदभाव के प्रति रक्ताभ है, वहीं उनकी दूसरी आंख से एक चिर-विरहणी की तरह आंसू टपकते नजर आते हैं। कबीर ने अपने समय की हर रूढि़ का प्रत्याख्यान एक करुण दृष्टि के साथ नितान्त व्यावहारिक धरातल पर किया … Read more