चुनावी चुटकुले

शिव शंकर गोयल
शिव शंकर गोयल

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान एक स्थान पर एक प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ प्रचार करते हुए घर घर घूम रहे थे. सभी को हाथ जोड़ते हुए कह रहे थे कि वोट मुझे ही देना. ऐसे मौके पर आमने-सामने कोई बिरला ही मना करता है. सभी ने कहा कि हम तो आप को ही देंगे. प्रचार के अंत में हुलसे हुलसे नेताजी ने कॉलोनी से बाहर निकलते हुए अपने साथ के लोगों से कहा, देखा? सभी मुझे समर्थन देने की कह रहे हैं. इस पर साथ चल रहे एक व्यक्ति से रहा नहीं गया. वह धीरे से बुदबुदाया, सब तो यह कह रहे हैं कि हम आपको यानि आप पार्टी को वोट देंगे, जबकि नेताजी दूसरी पार्टी के थे।
दिल्ली में ही एक मल्टी स्टोरीड सोसायटी में आप पार्टी के दो-तीन कार्यकर्ता डोर टू डोर प्रचार कर रहे थे. चौथे फ्लोर पर प्रचार कर वह पांचवें फ्लोर पर जाने के लिए लिफ्ट के पास आकर खड़े हो गए. संयोगवश उसी समय सोसायटी के अध्यक्ष और सचिव, जो क्रमश: बीजेपी और कांग्रेस के समर्थक माने जाते थे और इनके जानकार थे, लिफ्ट में उपर से नीचे जारहे थे। चौथे फ्लोर पर लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही इन्हें देख कर शिष्टाचारवश अध्यक्ष महोदय ने प्रचारक मित्रों से कहा, आइये आप भी आजाइये, वी आर गोइंग डाउनÓ. इस पर आप समर्थक बोले थैंक यू सर, आप बेशक नीचे जा रहे हंै, बट वी आर गोइंग अप और आखिर चुनाव परिणाम में भी यही हुआ.
यूपी में अपने प्रचार के दौरान भड़काऊ भाषण देने की वजह से जब एक नेताजी पर चुनाव आयोग ने प्रतिबंध लगाया तो इसी बीच वह एक रोज फ्लाइट से सुबह सुबह ही जयपुर आ गए. राजस्थानी परम्परा के अनुसार जब स्थानीय नेताओं ने उन्हें शिष्टाचारवश पूछा, नाश्तो करल्यो तो उन्होंने जवाब दिया ना ना, नथी जोइये, हूं लखनऊ माटै करीन आयो छूÓ.
एक बार सउदी अरब का एक शेख एयर इंडिया की फ्लाइट से मुंबई से जेद्दाह जा रहा था. एक एयर होस्टेस को देख कर, पेट्रो डालर की खुमारी में उसने उसके साथी मैम्बर से कहा कि मैं इस होस्टेस को खरीदना चाहता हूं। वह कर्मचारी बोला सर, यह तो एयर इंडिया की है. इस पर शेख ने कहा कि मैं पूरी एयर इंडिया ही खरीद लूंगा, बोलो किससे बात करनी है? तो वह कर्मचारी आंखें चुराता हुआ बोला शेखजी, एयर इंडिया की मालिक तो सरकार है. ऐसी बात है तो मैं अक्खी सरकार को ही खरीद लूंगा, षेख बोला. इस पर कर्मचारी ने जवाब दिया सर, उसे तो अम्बानी बंधु पहले ही खरीद चुके हैं.
एक दल की केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक देर रात तक चलती रही। मतभेद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे थे. अंत में जब मीटिंग समाप्त हुई तो सब अपने अपने घर जाने हेतु बाहर निकले. तभी पता लगा कि अब तक दल के सर्वेसर्वा रहे नेताजी की कार में कुछ खराबी आ गई है. वह झुंझला कर खड़े थे. हताश वह पहले से ही थे. तभी दल के अध्यक्ष बाहर निकले और माजरा जानकर सुप्रिमो से बोले कोई बात नही भाउ मैं आपको ड्रॉप कर दूंगा। अब भाउ, अपने अतीत को याद कर करके, कभी अध्यक्ष की तरफ तो कभी बाहर की ओर सूनी आखों से देखने लगे।
आप पार्टी के एक ग्रुप लीडर अन्य कार्यकर्ताओं के साथ सोसायटी के फ्लैट्स में घर घर जाकर प्रचार कर रहे थे. जिस घर में कोई नौजवान मिल जाता तो वह कहते, नौजवान, अभी तुम चाहो तो सब कुछ बदल सकते हो. एक फ्लैट पर एक नौजवान ने पलट कर पूछ ही लिया, नहीं तो क्या हो जायेगा ? इस पर प्रचारक ने कहा कि कल को शादी होगई तो बीबी को बिना पूछे टीवी का चैनल तक नहीं बदल सकोगे.
यह तब की बात है, जब 2013 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हो रहे थे। अर्थात उस समय तक सरकार की विदाई नहीं हुई थी, वरन विदाई की तैयारियां चल रही थी. दिल्ली के कीर्तिनगर में शासक दल द्वारा आयोजित बुद्धिजीवियों की एक चुनावी मीटिंग थी. एक हिन्दी के प्रोफेसर सभा के संयोजक थे. माईक उन्हीं के हाथ में था. आगंतुक नेताओं का स्वागत किया जा रहा था. सबसे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री को माला पहनाई जानी थी. माईक पर संयोजक महोदय ने अपनी शुद्ध हिन्दी में कहा, मैडम, यह हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि आप यहां पधारी हैं. अब आप हार स्वीकार कीजिये. यह सुनते ही सभा में सन्नाटा छा गया।
दिल्ली के ही हरिनगर में शासक पार्टी की चुनावी सभा थी. आस-पास बड़ बड़ होर्डिंग्स, पोस्टर, बैनर इत्यादि लगे हुए थे. इसी बीच भीड़ में एक पर्चा बंटा, जिसमें जनता से अपील की गई थी कि कांग्रेस को मत दें. एक व्यक्ति ने इस मत का जाने क्या मतलब लगाया और भीड़ में से बोला कि जब आप खुद ही कह रहे हैं कि कांग्रेस को मत दे तो फिर इनको वोट देगा ही कौन ? और वही हुआ।
दिल्ली में द्वारका की एक हाउसिंग सोसाइटी के अध्यक्ष पेशे से पेट की बीमारियों के डाक्टर हैं. संयोग से वे बीजेपी के समर्थक भी हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान पेट में गैस की बीमारी से पीडि़त एक व्यक्ति उनके क्लिनिक पर आया. उस समय डा. साहब इंगलिश का अखबार पढ़ रहे थे, जिसमें लिखा था, नो शॉरटेज ऑफ गैस इफ बीजेपी इज वोटेड टू पावर. इधर डा. साहब ने मरीज को देखने के बाद कोई दवाई बताते हुए कहा कि गैस में कमी हो जायेगी, साथही कहा कि वोट बीजेपी को ही देना तो वह व्यक्ति बोला कि अखबार में तो यह लिखा है कि आपकी पार्टी सत्ता में आगई तो गैस की कमी नहीं होगी।
सन 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां झूठ का बोलबाला रहा, वहीं व्यक्तिगत बातें भी खूब उछाली गईं. कुछ पत्रकार युवराज की शादी न होने की वजह से युवराज से भी ज्यादा चिंतित थे. काफी खोजबीन के बाद उन्होंने इसकी वजह पता की और बताया कि मैडम चुनाव रैलियों में जहां जहां भी जाती हैं, वहां स्थानीय नेता स्टेज पर आकर जनता को कहते हैं कि इनको बहुमत दो. ऐसे में अब आप ही बतायें कि लोग स्थानीय नेताओं की बात माने या नहीं?
दिल्ली में एक पत्रकार सम्मेलन में बीजेपी के नेता केजरावाल को घेरने की कोशिश में आरोप पर आरोप मढ़ रहे थे. इसी कड़ी में उनके एक नेता ने कहा कि केजरीवाल ने अब ठेकेदारी चालू कर दी हैं. ठेकेदारी, वह कैसे ? एक पत्रकार ने पूछा. जो कुछ भी गलत हो रहा है उन सब की जिम्मेवारी केजरीवाल की ही तो है, नेताजी बोले.
एक बार सोनिया गांधी ने दिल्ली की एक चुनावी सभा में आप पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि शासन करना बच्चों का खेल नही है, दूसरे रोज ही केजरीवाल ने अपने रोड शो में इसका जवाब देते हुए कहा कि मैडम, घर की बात घर में ही कहें तो अच्छा रहेगा.
नोएडा, यूपी, का किस्सा है. समाजवादी पार्टी का प्रत्याषी घर घर प्रचार कर रहा था. एक घर के कोर्टयार्ड में एक वृद्धा घर का काम काज कर रही थी। केन्डीडेट ने उसे कहा माई, साईकिल का ख्याल रखना. इस पर वह बोली, बेटा, कहां खड़ी करी है? बाहर से तो कोई ले जायेगा. ताला लगा कर यहां अंदर खड़ी कर दे.
चुनाव के व्यस्त दिनों में एक गृहणी सुबह 2 ही घर के काम-काज जल्दी जल्दी निबटा रही थी. ऑफिस जाते हुए पति से बोली कि मैं नहाने जा रही हूं, पीछे से काम वाली के आने का समय भी हो रहा है, अत: आप बाहर से कुन्दा लगा जाओ. संयोग से थोडी देर बाद चुनाव प्रचार करता हुआ एक प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ वहां आ गया. उसने दरवाजे का कुन्दा खटखटाया तो गृहणी ने उसे कामवाली समझ बाथरूम से ही कहा कि कुन्दा खोल कर अंदर आ जाओ. वह अंदर आ गए. उनकी आहट सुन गृहणी ने समझा कामवाली ही है, अत: बोली पहले बर्तन साफ कर, बाद में कपड़ें धोना. अब प्रत्याशी और उसके समर्थक एक दूसरें का मुंह देख रहे हैं, क्या करें, क्या नहीं?
दिल्ली की द्वारका सोसाइटी की घटना हैं. उस सोसाइटी में तीन ब्लाक हैं। आप पार्टी के एक नेताजी अपने अन्य दो साथियों के साथ प्रचार कर रहे थे। इतने में उनमें चार प्रचारकों का एक दल और आकर जुड़ गया. सात प्रचारक एक साथ हर घर में जाकर क्या करेंगे, यह सोचकर उन्होंने पूरे ग्रुप को बांटने की गरज से बाकी सबको कहा कि आधे आदमी ए ब्लाक की तरफ चले जाओ, आधे आदमी बी ब्लाक की तरफ और बाकी मेरे साथ आ जाओ. थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा कि वह अकेले ही ‘सी ब्लाकÓ की तरफ बढ़ रहे हैं. -असल में उस समय उनके दिमाग में फिल्म शोले का अंग्रेजों के जमाने के जेलर-असरानी का डायलॉग घूम रहा होगा, जिसमें वह यही संवाद बोलता है.
यह तब की बात है जब दूदू विधानसभा क्षेत्र जयपुर के अन्तर्गत आता था. चुनाव के दो रोज पहले पोलिंग पार्टियां अपना अपना सामान लेकर जयपुर से जा चुकी थी. काफी देर बाद उन्हें चैक करने की गरज से एसडीएम साहब भी रवाना हुए और अकस्मात ही दूदू के पास के एक गांव में पहुंचे. मतदान केन्द्र का पता करके वहां गए तो पता लगा कि सारी पार्टी ही गायब, सिर्फ साथ का एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दारू पीकर एक कमरे में बेसुध पडा था. खोद खोदकर पूछने पर वह खुला और रहस्योद्घाटन किया कि सभी लोग बांदरा सीन्दरी-रैड लाइट एरिया गए हैं। पीछे पीछे एसडीएम साहब भी वहां पहुंचे. संयोग से वह लोग सौदेबाजी करते हुए मिल गए. साहब सबको अपनी गाडी में बिठा कर वापस गांव लाए. रास्ते भर सस्पैन्ड करने की धमकियां देते रहे. खैर, जैसे तैसे सबको मतदान केन्द्र पर छोड़ कर वह आगे बढ़ गए. रात में लौटते वक्त उन्होंने सोचा कि एक बार और चैक कर लें, अत: वह फिर उसी गांव पहुंचे तो देखा कि पूरी की पूरी पार्टी फिर गायब. वह दौड़े दौड़े बांदरा सीन्दरी गए और मजे की बात सब वहां मिल गए. पूछने पर सफाई दी कि यह सोचा साहब एक बार आ चुके हैं, अब दुबारा क्या आएंगे।
-ई. शिव शंकर गोयल

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