विश्व योग दिवस : मोदी का प्रयत्न रंग लाया

रेणु शर्मा
रेणु शर्मा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रयत्न रंग लाया और 21 जून को भारत सहित विश्व के 121 देशों ने पहला अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाने की तैयारी में लगे हुए हैं। संयुक्तराष्ट्रसंघ ने योग दिवस की मेजबानी की भारत के पडोसी देश सिंगापुर को सौपी हैं जो स्वागत योग्य हैं दूसरी तरफ योग दिवस का प्रणेता भारत जिससे उम्मीद की जा रही हैं कि 21 जून को भारत में सामूहिक रूप से योग किया जावे ।
मोदी द्वारा “योग“ को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की अपील – हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिसम्बर में संयुक्तराष्ट्रसंघ में “योग“ को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की जो अपील की थी वो सफल हो गयी और संयुक्तराष्ट्रसंघ द्वारा 21 जून को “योग“ को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कर दी गयी। 27 सितम्बर को मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मोदी ने कहा था कि “ हमे अतंरराष्ट्रीय योग दिवस की दिशा में बढना चाहिये क्योकि योग मस्तिष्क एंव शरीर, विचार एंव क्रिया, अंकुश एंव संतुष्टि के बीच एकता तथा मनुष्य और प्रकुति के मध्य सामंजस्य बनाता हैं।यह स्वास्थ्य व बेहतर जीवनचर्या का समग्र माध्यम है।“ वैदिक का काल से चले आ रहे हमारी वैदिक विद्या को मोदी ने वैश्विक मान्यता दिलवा दी । योग में ज्ञान कर्म और भक्ति का समागम हैं इसी कारण विश्व के 177 देश योग के समर्थक बने हैं।
योग दिवस 21 जून को ही क्यों मनावें – योग के लिये कोई भी दिन चुना जा सकता था लेकिन 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित करने का भी एक उद्देश्य था 21 जून को उत्तरी गोलादर््ध में सबसे लम्बा दिन होने के साथ-साथ 21 जून को विश्व के अधिकांश देशों में भी विशेष महत्तव है।

संयुक्तराष्ट्रसंघ द्वारा योग को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस क्यों बनाया – संयुक्तराष्ट्रसंघ द्वारा योग को की ये घोषणा इसलिये भी महत्तवपूर्ण है क्योंकि संयुक्तराष्ट्रसंघ के इतिहास में पहली बार 193 देशों में से 170 देशों ने इसका समर्थन ही नहीं किया बल्कि वे अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्तावक भी बने हैं। इससे यह स्वंत ही सिद्व होता है कि योग की महत्ता को विश्व के जन मानस ने स्वीकार किया हैं और उन्होने योग को सार्वभौम माना हैं और योग को मानव के शारीरिक,मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिये उपयोगी बताया हैं। योग ही ऐसा साधन है जिसके माध्यम से शरीर एंव मन दोनों पर समान रूप से प्रभाव पडता हैं। विश्व योग दिवस को अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिलने के बाद योग का प्रणेता भारत द्वारा योग को जनमानस के लिये सरल बनाकर उसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा हैं। योग गुरू बाबारादेव विशेष रूप से देश-विदेश में जाकर योग का प्रचार करने के साथ ही मीडिया के माध्यम से भी लोगों को योग की शिक्षा दे रहे हैं इसके साथ ही रामदेव ने योग के प्रशिक्षक तैयार किये हैं जो में निस्वार्थ भाव से विश्व के विभिन्न भागों में योग के प्रचार-प्रसार में सहयोग कर रहे हैं।
देश-विदेश में योग पर होने वाले प्रमुख कार्यक्रम – मोदी के आव्हान पर पहले अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विभिन्न स्वंयसेवी संस्थाए बढ चढकर हिस्सा ले रही हैं। विश्व योग दिवस को मनाने के लिये भारत सहित विश्व के अधिकतर देश तैयारी कर रहे हैं , रामदेव का पंतजलि योग पीठ पूरे विश्व में एक लाख योग कक्षाए लगायेगा और बाबारामदेव योग पर एक कॉम्पेक्ट प्रोग्राम देगे जिसे 8 साल के बच्चे से लेकर 80 साल के वृद्व भी आसानी से कर सकेगे, 35 मिनट के इस प्रोगा्रम को करने के बाद किसी अन्य व्यायाम की आवश्यक्ता नहीं होगी। वहीं देव संस्कृति विश्वविद्यालय और गायत्री परिवार विश्व के 25 देशों में योग के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगे। योग को लेकर चीन 17 से 21 जून तक वैश्विक योग सम्मेलन आयोजित करगा जिसमें आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी की दवाईया प्रदर्शित की जायेगी।

योग को लेकिन धार्मिक विवाद – पिछले कुछ सालों में भारत ही नहीं विश्व के अन्य देशों में योग की तरफ लोगों का आकर्षण बढा हैं । वर्ष 2012 की द योग जर्नल माकेटिंग रिसर्च के अनुसार लगभग 2.04 करोड़ अमेरिकी योग करते हैं लेकिन हमारे यहा कुछ मुस्लिम संगठनों ने योग का विरोध करते हुए कहा है कि योग को अनिवार्य नही बनाना चाहिये क्योकि योग और सूर्य नमस्कार इस्लाम की अवधारणा के खिलाफ हैं । उनका कहना है कि योग एंव सूर्य नमस्कार में जिस प्रकार शरीर को मोडना पडता है वैसा हम नहीं कर सकते क्योकि मुस्लमान अल्लाह के सिवा किसी के सामने नहीं झुक सकता। वे सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि सरकार योग का एक आसन सूर्य नमस्कार को स्कूलों में अनिवार्य करने के कानून की आड में अल्पसंख्यकों पर हिन्दुत्व थोप रही हैं।
यदी सरकार द्वारा हिन्दूत्व थोपा गया होता तो विश्व योग दिवस मनाने वाले 121 देशों मेेेेे मुस्लिम देश शामिल नहीं होते 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने वाले देशों में ईरान, सीरिया, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देश भी शामिल हैं। उलेमा-ए-हिन्द के नेता मौलाना मेहमूद मदनी ने भी योग को सही बताया है उनके अनुसार योग के एक हिस्से सूर्य नमस्कार में कुछ बदलाव और उसमे से श्लोंक को हटा दे तो मुस्लमानों को सूर्य नमस्कार से शिकायत नहीं होगी।
योग से होने वाले फायदे – हमें प्रसन्नता होनी चाहिये कि जिस योग के लिये मोदी ने दिसम्बर में संयुक्तराष्ट्रसंघ के समक्ष एक अपील पेश की थी की “योग“ को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक पंहुचाये और मोदी की अपील और योग की महत्ता के कारण संयुक्तराष्ट्रसंघ ने “योग“ के लिये 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया । हमें बात पर गर्व होना चाहिये कि हमारे योग ने देश में ही नहीं बल्की विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनायी हैं जिसे अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा हैं मोदी के अलाबा बाबा रामदेव ने भी इस काम में पूरा सहयोग दिया हैं। इसलिये भारतीय मुस्लमानों को चाहिये की वे संर्किण मानसिकता को छोडे और तथाकथित धर्म के ठेकेदार और राजनितिक स्वार्थी लोगों के बहकावे में नही आवे और खुले मन से सोचे यदी योग से फायदा होता हैं तो योग को अपनाये अन्यथा योग को छोड दे।
वर्तमान समय में योग को लेकर जनमानस में योग को लेकर विभिन्न भ्रान्तियंा फैली है उनका निवारण किया जाना चाहिये। इसके साथ हीं अपने देश के सभी विद्यालयों में योग शिक्षा अनिवार्य कि जावे , जिससे बच्चों को प्रारम्भ से ही योग का ज्ञान मिल सके जिसका नियमित अभ्यास करने से उनका शारीरिक,मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो सके जिससे वे सुसंस्कारवान नागरिक बनेगे जो भारत के विकास में अपनी महती भूमिका निभायेगें।
मुस्लिम धर्मावलबियों को चाहिये कि जिन बातों से लोगों का भला होता हैं , उनकी सेहत अच्छी रहती हैं ऐसी बातों को धार्मिक मुद्दा नहीं बनाये , बल्कि सकारात्मक सोच रखते हुए प्रोत्साहन देना चाहिये । योग सिर्फ हिन्दू धर्म का ही नहीं हैं बल्कि योग मानव कल्याण के लिये हैं ये भी सच है कि आदी काल से हमारे ऋषि-मुनि योग की योगिक क्रियाए करते आ रहे हैं लेकिन योग की महत्ता के कारण योग को मानव स्वास्थ्य के साथ जोडना चाहिये। क्योकी हर साल लाखों करोड़ों रूपया विभिन्न बिमारियों के उपचार और उनकी दवाईयों पर खर्च हो रहंा है फिर भी मानव शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नही हो पाता , लेकिन योग ्रके नियमित अभ्यास से सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक व्याधियों का समाधान संभव हैं।
जब हमारा विशालजन समुदाय योग के माध्यम से बिना औषधियों के ही स्वस्थ हो जायेगा तो औषधियों पर होनेे वाले खर्च होने वाले पैसे की बचत होगी ं, इसके अलावा सुसंस्कारित नागरिक होने के कारण कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये भी कम खर्चा करना होगा और इस समस्त राशी का उपयोग योग के प्रचार-प्रसार पर खर्च किया जा सकता हैं । विष्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी प्रत्येक साल विभिन्न बिमारियों की रोकथाम के लिये करोड़ों रूपये की राशी खर्च कर देता हैं यदि इस राशी का कुछ हिस्सा योग के प्रचार-प्रसार पर खर्च किया जावे तो अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में मानव के स्वास्थ्य संबधी बिमारियों में सुधार लाया जा सकता हैं।
योग को सार्वभौमिक कैसे बनाया जाये – हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को योग के लिये एक अन्तर्राष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय की स्थापना करनी चाहिये जहंा योग विशेषज्ञ महर्षि पतंजलि के अष्टंाग योग के विभिन्न आयामों पर अनुसंधान कर सके। जो सम्पूर्ण विश्व के मानव के सर्वांगीण विकास लिये उपयोगी हो सके। इसके अलावा विश्व के अन्य देशों द्वारा उनकी विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार जो योगिक क्रियाएं कि जाती है उन सभी योगिक क्रियाओं का सर्वे करवाया जाये और उन पर अनुसंधान करवाया जाये। अनुसंधान के उपरान्त यदी वे योग की कसौटी पर खरे उतरते हैं तो उनका भी महर्षि पतंजलि के अष्टंाग योग के साथ ही प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिये । इसके साथ-साथ योग के प्रचार-प्रसार के लिये काम करने वाली स्वंय सेवी संस्थाओं को भी प्रोत्साहित करना चाहिये एंव इसका समय-समय पर अध्ययन करके विश्लेषण किया जाना चाहिये जिससे योग एक देशिय न रह का बहुदेशिय हो जायेगा । साथ ही एक धर्म का ना रहकर सभी धर्मो का हो जायेगा जिससे योग के कारण होने वाले वाद-विवाद करने की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
लेखिका – रेणु शर्मा (पत्रकार)
राजस्थान सचिव मीड़िया एक्शन फोरम

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