दलितों-गरीबों और अल्पसंख्यकों के मसीहा—बाबा रामदेवजी
पोकरण के शासक रामदेवजी ने राजा बनकर नही अपितु जनसेवक बनकर गरीबों, दलितों, असाध्य बीमारियों से पीड़ित रोगियों व जरुरत मंदों की हर सम्भव से सहायता और सेवा की। दलित कन्या डाली बाई को रामदेवजी ने अपने घर बहन-बेटी की तरह रख कर पालन-पोषण भी किया था। इसीलिये 660 से अधिक सालों के बाद भी असंख्य दलित समुदाय के लोग बाबा के अनन्य भक्त हैं । रामदेवजी ने पोकरण की जनता को भैरव राक्षक के आतंक से भी मुक्त कराया, जिसके फलस्वरूप अधिकांश नागरिक वहां से पलायन कर गये थे लेकिन बाबा रामदेव के अदभूत एवं दिव्य व्यक्तित्व के कारण राक्षस ने उनके आगे आत्म-समर्पण कर दिया था और बाद में उनकी आज्ञा अनुसार वह मारवाड़ छोड़ कर चला गया।
रामदेवजी के चमत्कार—पर्चे
पीरों के पीर रामदेवजी
किद्वन्तियों के मुताबिक मक्का के मौलवियों ने वहां के प्रमुख पीरों को बाबा रामदेवजी के अलौकिक चमत्कारों के बारे में बताया तो वे पांचो पीर भी बाबारामदेवजी की शक्ति और चमत्कारों को परखने के लिए मक्का से रुणिचा आए। बाबा के घर जब पांचो पीर खाना खाने बैठे तब उन पीरों ने बाबा से कहा की वे अपने खाने की सीपियाँ यानि बर्तन भूल से मक्का ही छोड़ आए है और उनका प्रण है कि वे खाना अपनी ही सीपियों में खाते है | तब रामदेवजी ने कहा कि उनका भी प्रण है कि घर आए अतिथि को बिना भोजन कराये नही जाने देते और इसके साथ ही बाबा ने अलौकिक चमत्कार कर दिखाया, पीरों ने देखा कि उनकी सीपीयां उनके सामने रक्खी हुई हैं। । जब पीरों ने मक्का वाली अपनी अपनी सीपियों को अपने सामने देखा तब उन पाँचों पीरों को श्री रामदेव जी महानता और चमत्कारों पर विश्वास हुआ और वे कहने लगे हम तो सिर्फ पीर ही हैं किन्तु आप तो पीरों के पीर हैं। आज से आपको दुनिया रामापीरसा के नाम से जानेगी, तभी से रामदेवजी रामसापीर कहलाए।
प्रस्तुतिकरण—-डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—– इतिहासकार मुंहता नैनसी का ग्रन्थ “मारवाड़ रा परगना री विगत”, मेरी डायरी के पन्ने,विभिन्न पत्र पत्रिकायें आदि
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