आईये देखें क्यों हमारे अधिकतर धार्मिक पर्व रात में ही मनाये जाते हैं ?

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
क्या हमने इस सच्चाई पर ध्यान दिया है कि क्यों प्रमुख धार्मिक पर्व यथा दीपावली, होली, शिवरात्रि, नवरात्रा आदि हमारे देश में रात में ही मनाये जाते है ? मन में सवाल उठता है कि हम शिवरात्री या नवरात्री को शिवदिन या नवदिन क्यों नहीं कहते हैं? इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि अगर रात्रि का कोई विशेष रहस्य या महत्व नहीं होता तो ऐसे उत्सवों को शिवरात्रि, नवरात्री के बजाय नवदिन या शिवदिन ही कहा जाता । भारतीय ऋषि-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है जिसके पिछे तार्किक और वैज्ञानिक कारण भी है | ऋषि-मुनियों ने पर्वों के माध्यम से रात्रि के महत्व को वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में भी समझने और समझाने की कोशिश की थी । वैज्ञानिक तथ्य यही है कि रात्रि में प्रकृति के अधिकांश अवरोध खत्म हो जाते हैं। हम जानते हैं कि अगर दिन में किसी को आवाज दी जाये तो यह आवाज बहुत दूर तक नहीं पहुचं पाती है किंतु यदि रात्रि में आवाज दी जाए तो वही आवाज बहुत दूर तक पहुचं जाती है। इसके पीछे दिन के कोलाहल-शोरगुल के अलावा एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों और रेडियो तरंगों को आगे बढ़ने से रोक देती हैं। इसी वैज्ञानिक तथ्य को ध्यान में रखते हुये रात्री में उच्च अवधारणा के साथ किये गये संकल्प अपनी शक्तिशाली विचार तरंगों को वायुमंडल में भेजते हैं जिससे कार्यसिद्धि अर्थात मनोकामना की पूर्ति अवश्यंभावी होती है |
प्रस्तुती– डा. जे.के.गर्ग ,सन्दर्भ— मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न पत्रिकाएँ, भारत ज्ञान कोष, संतों के प्रवचन,जनसरोकार, आदि Visit my Blog—-gargjugalvinod.blogspot.in

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