पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर

पुष्कर में स्थित ब्रह्माजी के एक मात्र मंदिर का इस मन्दिर का ग्वालियर के महाजन गोकुल प्राक् ने अजमेर में करवाया था। ब्रह्मा मन्दिर की लाट लाल रंग की है एवं तथा इसमें ब्रह्माजी के वाहन हंस की आकर्षक आकृतियाँ हैं। मन्दिर में चतुर्मुखी ब्रह्माजी, देवी गायत्री तथा सावित्री यहाँ मूर्तिरूप में विद्यमान हैं। कहते है कि विक्रम संवत्‌ 713 में आदि शंकराचार्यजी ने ब्रह्माजी की मूर्ति की स्थापना की थी। ब्रह्मा मन्दिर प्रवेश द्वार संगमरमर का है वहीं दरवाजे चांदी के बने हैं। यहां भगवान शिव को समर्पित एक छोटी गुफा भी बनी है। ब्रम्हा मंदिर में लगे सैकडों चांदी के सिक्कों पर दानदाता के नाम भी खुदे हुए हैं। मंदिर के फर्श पर मनमोहक एक चांदी का कछुआ भी है। ज्ञान की देवी सरस्वती के वाहन मोर के चित्र भी ब्रह्माजी के मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं। यहां गायत्री देवी की एक छोटी प्रतिमा और किनारे ब्रह्माजी की चार मुखों वाली मूर्ति को चौमूर्ति कहा जाता है।

डा. जे.के.गर्ग
मंदिर के पीछे रत्नागिरि पहाड़ पर जमीन तल से 2369 फुट की ऊँचाई पर ब्रह्माजी की प्रथम पत्नी सावित्री का मंदिर है। यज्ञ में शामिल नहीं किए जाने से कुपित होकर सावित्री ने केवल पुष्कर में ब्रह्माजी की पूजा किए जाने का श्राप दिया था। कुछ वर्षोँ पूर्व राजपुरोहित समाज द्वारा बाड़मेर जिले के आसोतरा में भी ब्रह्माजी के मन्दिर का निर्माण करवाया गया है |

प्रस्तुतिकरण—–डा. जे. के. गर्ग

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