किसी भी शुभ काम से पहले क्यों देखते हैं मुहूर्त?

-मुहूर्त देखने के क्या हैं फायदे
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कौन नहीं चाहता कि जो भी काम वह करे उसमें सफलता हासिल हो और उसके सकारात्मक परिणाम मिलेंं। आप भी जब किसी कार्य की शुरुआत करने के बारे में सोचते हैं तो समय और परिस्थितियों का आकलन करते हैं। देखते हैं कि माहौल के अनुसार अमुक काम करना ठीक रहेगा या नहीं। जिस उद्देश्य के साथ काम को अंजाम दिया जा रहा है उसे हासिल करने में सफलता मिलेगी या नहीं। शुभ मुहूर्त भी कुछ ऐसा ही है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल हमारे हर अच्छे-बूरे निर्णय को प्रभावित करती है। कई बार आप अच्छे के लिये कोई शुरुआत करते हैं लेकिन उसके परिणाम नकारात्मक मिलते हैं। ज्योतिष शास्त्र इस सबके पिछे ग्रहों का अनुकूल न होना मानता है इसलिये ज्योतिषाचार्य किसी भी कार्य को शुभ मुहूर्त में करने की सलाह देते हैं। आइये जानते हैं क्या होते हैं शुभ मुहूर्त और क्यों होते हैं जरूरी।

क्या होते हैं शुभ मुहूर्त
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ज्योतिष शास्त्रीय दृष्टि से आकलन करने पर शुभ मुहूर्त के बारे में कहा जा सकता है कि शुभ मुहूर्त किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करने का ऐसा शुभ समय होता है जिसमें तमाम ग्रह और नक्षत्र शुभ परिणाम देने वाले होते हैं। इस समय में कार्यारंभ करने से लक्ष्यों को हासिल करने में सफलता मिलती है और काम में लगने वाली अड़चने दूर होती हैं। आजकल शुभ मुहूर्त को शुभ घड़ी भी कहा जाता है। आपके लिये कौनसी घड़ी शुभ रहेगी या फिर कैसे आपके कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होंगी इसके लिए ज्योतिषाचार्यों से परामर्श लेना चाहिए।

कितने समय तक रहा है एक मुहूर्त
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वैसे तो शुभ मुहूर्त कार्य की प्रकृति और कार्यारंभ करने वाले जातक की कुंडली में ग्रहों की दशा के अनुसार ही तय होता है लेकिन रोजर्मरा के जीवन में प्रतिदिन कुछ ऐसे शुभ-अशुभ मुहूर्त होते हैं जिनकी जानकारी के बाद हर दिन, हर कार्य के लिये ज्योतिषीय परामर्श की आवश्यकता नहीं पड़ती। यदि दिन और रात के 24 घंटे के समय के अनुसार देखा जाये तो प्रात: 6 बजे से लेकर दिन-रात मिलाकर प्रात: 5 बजकर 12 मिनट तक कुल 30 मुहूर्त होते हैं। एक मुहूर्त 48 मिनट तक रहता है।

मुहूर्तों का नाम और समय
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यह तो आप जान चुके हैं कि एक दिन में 30 मुहूर्त होते हैं आइये अब आपको बताते हैं इन मुहूर्तों के नाम और समय के बारे में। सबसे पहला मुहूर्त का नाम रुद्र है जिसके शुरु होने का समय प्रात: 6 बजे का है। इसके बादर क्रमश: हर अड़तालीस मिनट बाद आहि, मित्र, पितृ, वसु, वराह, विश्वेदेवा, विधि, सप्तमुखी, पुरुहूत, वाहिनी, नक्तनकरा, वरुण, अर्यमा, भग, गिरीश, अजपाद, अहिर बुध्न्य, पुष्य, अश्विनी, यम, अग्नि, विधातृ, कण्ड, अदिति, जीव/अमृत, विष्णु, युमिगद्युति, ब्रह्म और समुद्रम मुहूर्त होते हैं।

मुहूर्त में क्या देखते हैं?
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वेद, स्मृति आदि धार्मिक ग्रंथों के आधार पर मुहूर्त संबंधि जानकारी देने वाले कुछ मुहूर्त विशेष ग्रंथ भी हैं जिनसे मुहूर्त संबंधि विस्तरित जानकारी मिल सकती है। इनमें मुहूर्त मार्तण्ड, मुहूर्त गणपति, मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त पारिजात, धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु आदि हैं। इसके साथ ही शुभ मुहूर्त जानते समय वक्त तिथि, वार, नक्षत्र, पक्ष, अयन, चौघडयि़ां एवं लग्न आदि का भी ध्यान रखा जाता है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076, 7976009175
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