राजेन्द्र बाबू के जीवन के अनसुने प्रेरणादायक संसमरण पार्ट 6

राष्ट्रपति ने मागीं अपने निजी सेवक से माफी

dr. j k garg
राजेन्द्र बाबू 12 वर्षों तक राष्ट्रपति भवन में रहे, उनके कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन की राजसी भव्यता और शान सुरूचिपूर्ण सादगी में बदल गई थी। राष्ट्रपति भवन में कार्यरतकर्मचारी तुलसी से एक दिन सुबह उनके कमरे में झाड़पोंछ करते वक्त उसके हाथ से राजेन्द्र प्रसाद जी के डेस्क से एक हाथी दांत का पेन नीचे ज़मीन पर गिर गया और पेन टूटगया जिससे स्याही कालीन पर फैल गई। चुकिं यह पेन उन्हें किसी ने भेंट किया था और यह पेन उन्हें प्रिय भी था। राजेन्द्र बाबू ने अपना गुस्सा दिखाने के लिये तुलसी को तुरंतअपनी निजी सेवा से हटा दिया, उस दिन वे बहुत व्यस्त रहे, मगर सारा काम करते हुए उनके ह्रदय में एक कांटा चुभता रहा और वे सोचने लगे कि उन्होंने तुलसी के साथ न्याय नहींकिया है। शाम को राजेन्द्र बाबू ने तुलसी को अपने कमरे में बुलाया तब तुलसी ने राष्ट्रपति को सिर झुकाये और हाथ जोड़े खड़े देखा तो वह हक्का भक्का हो गया, राष्ट्रपति ने धीमेस्वर में कहा, “तुलसी मुझे माफ़ कर दो।” तुलसी इतना चकित हुआ कि उससे कुछ बोला ही नहीं गया। राष्ट्रपति ने फिर नम्र स्वर में दोहराया,”तुलसी, तुम क्षमा नहीं करोगे क्या?” इसबार सेवक और स्वामी दोनों की आंखों में आंसू आ गये। ऐसी थी उनकी मानवीयता और बड़प्पन |

प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के.गर्ग

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