रक्षा बंधन प्राचीन काल से रहा है भाई बहिन के अटूट स्नेह का प्रतिक (सामाजिक धार्मिक सद्दभाव एवं सामाजिक क्रांति का माध्यम—रक्षा बंधन) पार्ट 3

dr. j k garg
मुग़ल काल के दौर में जब मुग़ल बादशाह हुमायूँ चितौड़ पर आक्रमण करने बढ़ा तो राणा सांगा की विधवा रानी कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर हुमायूँ से चितौड़ की रक्षा का वचन ले लिया। हुमायूँ ने इसे स्वीकार करके चितौड़ पर आक्रमण का ख़्याल दिल से निकाल दिया और कालांतर में मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज निभाने के लिए चितौड़ की रक्षा हेतु मुग़ल बादशाह हुमायूँ ने बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए रानी कर्मवती और मेवाड़ राज्य की रक्षा की । अत: सच्चाई तो यही है कि प्राचीन काल में भारत में रक्षाबन्धन का पर्व सिर्फ बहन-भाई तक ही सीमित नहीं था, अपितु भाई अपनी सगी बहिन के अलावा परिवारएवं आसपास के पडोस में रहने वाली सभी छोटी बड़ी बहनों से राखी बंधवा था,यहाँ तक पुरोहित भी अपने जजमान को राखी बांधते थे |

डा. जे.के. गर्ग

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