विलक्षण प्रतिभाशाली लौह पुरुष सरदार पटेल के जीवन की कुछ प्रेरणादायक अनसुनी घटनायें Part 4

सादगी और विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे सरदार

j k garg
बात उन दिनों की है जब सरदार पटेल भारतीय लेजिस्लेटिव ऐसेंबली के सभापति के पद पर आसीन थे | एक दिन अपना काम पूरा कर सरदार ज्योंहीं घर जाने लगे तभी एक अंग्रेज दम्पत्ति एसेंबली के प्रागण में आए | पटेल की बढ़ी हुई दाढ़ी और सादे वस्त्र देखकर उस दम्पत्ति ने सरदार पटेल को वहां का चपरासी समझ लिया | अंग्रेज दम्पत्तिने उन्हें ऐसेबंली में घुमाने के लिए कहा, पटेल ने उनके आग्रह को विनम्रता से स्वीकार किया और दम्पत्ति को पूरे ऐसेंबली भवन में साथ रहकर घुमाया |अग्रेज दम्पति बहुत खुश हुए और लौटते समय पटेल को एक रूपया बख्शिश में देना चाहा | पटेल बड़े नम्रतापूर्वक मना कर दिया | अंग्रेज दम्पति वहां से चला गया | दूसरे दिन ऐसेंबली की बैठक थी. दर्शक गैलेरी में बैठे अंग्रेज दम्पत्ति ने सभापति के आसन पर बढ़ी हुई दाढ़ी और सादे वस्त्रों वाले आदमी को सभापति के आसन पर देखा और मन ही मन दम्पत्ति अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ और मन ही मन में उन्हें ग्लानी महसूस हुई |

बारडोली का असहयोग आन्दोलन
स्वतन्त्रता आन्दोलनमें सरदार पटेल की वजह से ही खेडा और बारडोली का सत्याग्रह संघर्ष हुआ था | किसानों के हित में लडाई लड़ने के लिये ही वल्लभ भाई ने अपनी जमी जमाई वकालत को छोड़ कर किसानों को अग्रेजों को कोंई भी टेक्स नहीं देनेके लिये प्रेरित किया | आन्दोलन की वजह से सरकार के टेक्स में बहुत कमी आ गई | बारडोली केकिसानों के हित में लडाई लड़ने के लिये उन्हें बारडोली का सरदार कहा जाने लगा और खुछ सालों के बाद उनके आजादी की लडाई में योगदान को देख कर वल सरदार कहा जाने लगा |

डा. जे. के. गर्ग

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