गुरु गोविंद सिंह जयंती आज

राजेन्द्र गुप्ता
सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक हर साल पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित करते हुए गुरु परंपरा को खत्म किया था। इसके लिए साल 1699 में उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिखों के लिए ये घटना सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। वहीं सिख समुदाय के लोग गुरु गोबिंद सिंह की जयंती को बड़े पर्व की तरह मनाते हैं। इस दिन को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। इस बार 9 जनवरी 2022 को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती है। प्रकाश पर्व के मौके पर खालसा पंथ की स्थापना करने वाले सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें।

गुरु गोबिंद सिंह का जन्म और बचपन
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गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हुआ था। जिस जगह उनका जन्म हुआ, उसे अब पटना साहिब नाम से जाना जाता है। बचपन में उनका नाम गोविंद राय था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर थे। उन दिनों मुगलों का शासन था। औरंगजेब गद्दी पर था। औरंगजेब के शासन में इस्लाम को राजधर्म घोषित किया गया। वह जबरन हिंदुओं को धर्म परिवर्तन करवा रहा था। औरंगजेब से प्रताड़ित लोग गुरु तेग बहादुर के पास फरियाद लेकर पहुंचे, लेकिन औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु तेज बहादुर का सरेआम सिर कटवा दिया।

सिखों के 10वें और आखिरी गुरु
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पिता के निधन के समय गोबिंद मात्र 9 साल के थे। उन्हें तुरंत गुरु बना दिया गया। 11 नवंबर 1675 को गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु पद की जिम्मेदारी ली। उसके बाद से उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में गुजार दिया। बाद में गुरु गोबिंद ने गुरु प्रथा का अंत कर दिया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और गुरु ग्रंथ साहिब को ही सबसे बड़ा बताया। जिसके बाद सिख समुदाय गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा करने लगे। उन्होंने सिख समुदाय के लिए सबसे बड़ा फैसला लिया।

गुरु प्रथा का अंत और खालसा पंथ का उदय
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गुरु गोबिंद जी ने खालसा पंथ की स्थापना आनंदपुर साहिब में 1699 को बैसाखी के दिन की थी। उन्होंने खालसा वाणी भी दी, जिसमें ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह’ कहा गया। इसके अलावा उन्होंने पांच प्यारों को अमृत पान करवाकर खालसा बनाया और खुद भी उनके हाथों से अमृत पान किया।

पंच ककार
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गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ में जीवन के पांच सिद्धांत दिए हैं, जिन्हें पंच ककार के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब ‘क’ शब्द से शुरु होने वाले पांच सिद्धांत हैं, जिनका अनुसरण करना हर खालसा सिख के लिए अनिवार्य है। ये पांच ककार हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा।

योद्धा के साथ ही कई भाषाओं के जानकार
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गुरु गोबिंद सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ ही कई भाषाओं के जानकार और अच्छे लेखन और महान विद्वान भी थे। उन्हें संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी आती थीं। गुरु गोबिंद जी ने कई ग्रंथों की रचना की।

गुरु गोबिंद सिंह जी की धोखे से हत्या
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सच्चाई, धर्म और सिखों की रक्षा करने वाले इस संत, योद्धा ने अपने निजी जीवन में काफी कुछ खोया। 9 साल की उम्र में पिता के हत्या के बाद, पूरे परिवार का एक एक कर बलिदान कर दिया। गुरु गोबिंद सिंह की लोकप्रियता और उनकी नेकी से डरने वाले भी कम नहीं थें। औरंगजेब की मौत के बाद नवाब वजीत खां ने धोखे से गुरु गोबिंद सिंह जी की हत्या करवा दी।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076

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