मकर सक्रांति —- सूर्य संवत्सर का सबसे महत्वपूर्ण बड़ा दिन part 5

j k garg
पंजाब और जम्मू कश्मीर मे संक्रांति के एक दिन पूर्व में लोहड़ी मनाई जाती है। लोग घर-घर जाकर लकडिय़ां एकत्रित करते हैं और फिर लकडिय़ों के समूह को आग के हवाले कर मकई की खील, तिल व रवेडिय़ों को अग्नि देव को समर्पित करके प्रसाद के रूप में सबमें बाटते हैं।

उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति को ’खिचड़ी’ के नाम से मनाया जाता है। इन प्रदेशों के अंदर कहीं खिचड़ी बनाई जाती है तो कहीं जगह दही चूड़ा और तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। मध्य प्रदेश में इस त्योहार पर परिवार के बच्चों से लेकर बूढ़े सभी एक साथ गिल्ली-डंडे के इस खेल का आनंद उठाते हैं | महाराष्ट्र और गुजरात में मकर संक्रांति के दिन लोग अपने घर के सामने आकर्षक रंग बिरंगी रंगोली अवश्य बनाते हैं। फिर एक-दूसरे को तिल-गुड़ खिलाते हुए आपस में कहते हैं तिल और गुड़ खाओ और फिर हमेशा मीठा-मीठा बोलो।

असम में माघ महीने की संक्रांति के पहले दिन से माघ बिहू यानि भोगाली बिहू पर्व मनाया जाता है। भोगाली बिहू के मौके पर खान-पान धूमधाम से होता है। इस समय असम में तिल, चावल, नरियल और गन्ने की फसल अच्छी होती है। इसी से तरह-तरह के व्यंजन और पकवान बनाकर खाये और खिलाये जाते हैं। भोगाली बिहू पर भी होलिका जलाई जाती है और तिल व नरियल से बनाए व्यंजन अग्नि देवता को समर्पित किए जाते हैं। भोगली बिहू के मौके पर टिकुली भोंगा नामक खेल खेला जाता है साथ ही भैंसों की लड़ाई भी होती है।

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