उड़ीसा में भी होली को ‘डोल पूर्णिमा’ कहते हैं और भगवान जगन्नाथजी की डोली निकाली जाती है। मणिपुर में होली याओसांग के नाम से मनाई जाती है। योंगसांग उस नन्हीं झोंपड़ी का नाम है जो पूर्णिमा के दिन प्रत्येक नगर ग्राम में नदी अथवा सरोवर के तट परबनाई जाती है यहां धुलेंडी वाले दिन को पिचकारी कहा जाता है। इस दिन योंगसांग के अंदर चैतन्य महाप्रभु की प्रतिमा स्थापित की जाती है और पूजन के बाद इस झोपड़ी को अलाव की भांति जला दिया जाता है। इस झोपड़ी में लगने वाली सामग्री को बच्चों द्वारा चुराकर लाने की प्रथा है। इसकी राख को लोग मस्तक पर लगाते हैं एवं ताबीज भीबनाया जाता है। पिचकारी के दिन सभी एकदूसरे को रंग लगाते हैं । बच्चे घरघर जाकर चांवल,सब्जी इत्यादि इकट्ठा करते हैं और फिर विशाल भोज का आयोजन किया जाताहै। , गोविन्द की प्रतिमा का निर्माण होता है। एक वेदिका पर16खम्भों से युक्त मण्डप में प्रतिमा रखी जाती है। इसे पंचामृत सेनहलाया जाता है एवं,कई प्रकार के कृत्य किये जाते हैं फिर मूर्ति या प्रतिमा को इधर उधर सात बार डोलाया जाता है।
Dr J. K. Garg